होली
समता ममता प्यार मुहब्बत, हिलमिल बाँटे होली में
समरसता औ सत्य अहिंसा,छलके मीठी बोली में
होली की सतरंगी आभा,कण कण में फैलाएंगे
वैर भाव का बीज कहीं पे,हरगिज नहीं उगाएंगे
कूड़े का अम्बार उठाकर,दहन करेंगे होली में
कटुता और विषमता का मिल,हवन करेंगे होली में
रंग गुलाल भाल पर शोभित,प्रेम सहित हो होली में
सहिष्णुता का पाठ पढ़ाएं,करें सभी हित होली में
सब मिलकर हुड़दंग मिटाएँ,मचे रार ना होली में
ताना बाना बुने कर्म का,जुड़े तार इस होली में
भंग रंग से दूर रहें सब,नशा मुक्त हों होली में
अपशब्दों से बचना सीखें,धैर्य युक्त हों होली में
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय छोटे लाल जी आदाब,
होली रंग में डूबी बेहतरीन रचना । साथ ही इसमें पर्यावरण बचाव का संदेश भी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आपने यह रचना किस छंद में की है ? छंद का नाम नहीं लिखा है ।
नोट:-ओबीओ मंच पर आमद देने वाली अन्य विधाओं की रचनाओं को भी अपनी टिप्पणियों से पोषित करें ।
जनाब डॉ.छोटेलल सिंह जी आदाब,होली के मौक़े पर बहुत अच्छा संदेश देती रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
संदेशप्रद रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
आ. डॉ छोटेलाल सिंह जी सार्थक रचना....
होली की सतरंगी आभा,कण कण में फैलाएंगे
वैर भाव का बीज कहीं पे,हरगिज नहीं उगाएंगे
प्रेरणादायक व शिक्षादायक रचना हेतु बधाई स्वीकार हो आदरणीय..सादर
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