रंग-बिरंगे मोती एकत्रित हो चुके थे। कुछ पुराने और कुछ नये। कारीगर भी थे और फ़ोटोग्राफ़र भी। शादीशुदा औरतें भी और तलाक़शुदा भी रंग-बिरंगी पोशाकों में। दीग़र ताम-झाम भी इकट्ठे कर लिए गए थे। मंत्री महोदय के पधारते ही सरकार की तारीफ़ में क़सीदे गाये जाने लगे। ख़ास काम निबटा कर मंत्री जी को वापस रवाना होना था।
"कुछ जवान कुंवारी लड़कियों और कुछ जवान तलाक़शुदा औरतों को काम पर बिठा दो!" एक कार्यकर्ता ने दूसरे से कहा।
सिर पर दुपट्टे लपेटे कुछ मुस्लिम लड़कियों और औरतों ने ताने-बाने का सामान उठाया और बैठ गईं फ्रेम के पास काम पर। शेष उन्हें घेर कर बैठ गईं।
"हां, भाई अब चार-पांच फोटो उतार लो।" एक कार्यकर्ता के कहने पर फ़ोटोग्राफ़र ने फोटो उतारे। कुछ फोटो मंत्री जी के साथ उतारे गये और फिर मंत्री जी वापस रवाना हो गए अपनी टीम के साथ। फोटो उतरवाने के बाद लड़कियां और औरतें सभी की ख़ुशी उस समय दूनी हो गई, जब उन्हें कुछ रुपए भी वितरित कर दिये गये ।
"चलो भाई, अब जा सकतीं हैं आप लोग!" कार्यकर्ता ने उन सब से कहा।
"भाई साहब, नये साल का केलैंडर हमें भी मिलेगा या नहीं!" एक जवान लड़की ने पूछ ही लिया।
"हां बिल्कुल। तुमने क़शीदाकारी की है, कलैंडर भी मिलेगा, ज़रा सब़्र करना पड़ेगा।" कार्यकर्ता के इस जवाब पर फ़ोटोग्राफ़र के मुख से निकल गया - "चुनावी क़शीदेकारी में नये साल का केलैंडर! आख़िर कब तक उल्लू बनाओगे जनता को!"
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
शीर्षक में 'कशीदा कारी' में 'कशीदा' के 'क़' को "क" यानी 'क'के नीचे से बिन्दी हटाइये ।
मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब।
वाह वाह आदरणीय शेख साहब खूब सही विश्लेषण किया है आपने मौकापरस्त राजनीति का।
रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी'मुसाफिर'साहिब, जनाब विजय निकोरे साहिब, जनाब तेज वीर सिंह जी और मुहतरमा नीलम उपाध्याय जी।।
शीर्षक व शब्द एडिट कर दिए हैं मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब। एक बार फिर बहुत बहुत शुक्रिया।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बहुत अच्छी लघुकथा।
आदरणीय उसमानी जी, बहुत ही अच्छी लघु कथा के लिए बहुत बधाई ।
// आख़िर कब तक उल्लू बनाओगे जनता को//.... बहुत खूब !
लघु कथा अच्छी बनी है। दिल से बधाई देता हूँ।
हार्दिक बधाई ...
उस्मानी साहिब टाइटल ऐडिट कर दीजिये न ।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,
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