For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 2121 1221 212
बेबस पे और जुल्म न ढाने की बात कर।
गर हो सके तो होश में आने की बात कर ।।

.

क्या ढूढ़ता है अब तलक उजड़े दयार में ।
बेघर हुए हैं लोग बसाने की बात कर ।।

.

खुदगर्ज हो गया है यहां आदमी बहुत ।
दिल से कभी तो हाथ मिलाने की बात कर ।।

.

मुश्किल से दिल मिले हैं बड़ी मिन्नतों के बाद ।
जब हो गया है प्यार निभाने की बात कर ।।

.

यूँ ही बहक गये थे कदम बे इरादतन ।
इल्जाम मेरे सर से हटाने की बात कर ।।

.

मैंने भी आज देख ली दरिया दिली तेरी ।
अब तो न और पीने पिलाने की बात कर ।।

.

मुद्दत से हँस रहा मेरी मजबूरियों पे तू ।
हैं गम भी बेसुमार बटाने की बात कर ।।

.

गिरता रहे क्यों बारहा नजरों से कोई शख्स ।
शिकवे शिकायतों को मिटाने की बात कर ।।

क्यूँ  रट लगाये  बैठा  है बस  एक बात पर ।
कुछ तो कभी कभार ज़माने की बात कर ।।

        ---नवीन मणि त्रिपाठी
          मौलिक अप्रकाशित

Views: 383

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 1, 2018 at 10:19am

आ0 नीलेश जी सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 1, 2018 at 10:18am

आ0 कबीर सर सादर नमन 

अत्यंत व्यस्तता की वजह से हाजिर नहीं हो पाया था इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ   । 

       शीघ्र ही सक्रियता को कायम करूँगा ।

सादर नमन ।

Comment by Samar kabeer on April 29, 2018 at 8:11pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग्गज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

मंच पर आपकी सक्रियता ग़ज़ल पोस्ट करने की हद तक है, तरही मुशायरे में भी आप ग़ज़ल दाग़ कर निकल गए,पलट कर भी नहीं देखा,ये तरीक़ा ठीक नहीं है ।

पांचवें शैर के ऊला में 'बे इरादतन' शब्द मुनासिब नहीं,इसे बदलने का प्रयास करें ।

सातवें शैर में 'बेसुमार' को "बेशुमार" कर लें,और 'बटाने' क़ाफ़िया भी ठीक नहीं ।

आख़री शैर पर निलेश जी बता चुके हैं ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 29, 2018 at 7:48pm

वाह आदरणीय त्रिपाठी जी अच्छी ग़ज़ल कही..सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 29, 2018 at 9:19am

आ. नवीन जी,
अच्छी ग़ज़ल हुई है...
अंतिम शेर में   पर और कर आने से तकाबुले रदीफ़ की सूरत बन रही है,,
देखिएगा 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service