वार्ड के बिस्तर पर वह निढ़ाल पड़ा है, डॉक्टर कह रहे हैं कि ये नीला पड़ गया है, उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया है |
“नीला तो पैदा होते समय ही था, अब क्या होगा ?”, किसी पास खड़े ने कहा |
बात निकलती हुई इस पर आ कर रुक गई, सुबह तो नए कपड़े पहन और चौर बाज़ार से खरीदी काली एनक लगा कि गया था
काले चश्में का एक फायदा तो ये था कि आंख का टीर भी नजर नही आता था |
अभी कुछ दिन हुए घर वाली रब को प्यारी हो गई थी |
कुछ दिनों से लोग इस के घर अफ़सोस करने आ रहे थे|
मगर ऐसा हो जायेगा किसी को यकीन ही नहीं आ रहा था , ये कैसे हो गया ?
साथ आये लोग दो चिती में हैरान परेशान थे|
तभी दो लोग पोलिस के साथ वार्ड में दाखल हुए , उनमें से इक कह रहा था “साला छोटी का रिश्ता लेने गया था, अभी दिन भी क्या हुए थे?
खुद ही शर्म करनी चाहिए थी रिश्ता मांगने से |
ये तो साली आधी घर वाली को पूरी घर वाली बनानी चाहता था | सरकारी नौकरी के बल पे |
वो तो नहीं बन कर आई मगर अब वहां जा रहा है , यहां से वापस नहीं आएगा |
पोलिस रिपोर्ट तैयार क्ऱ रही थी और पास खड़े लोग बाहर को जाने लगे |
"मौलिक व अप्रकाशित"
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अच्छी रचना प्रस्तुति के लिए आदरणीय सर जी बधाई स्वीकार कीजिए
अंत लघु कथा के कथ्य को कदाचित भटकाता लगा।ऐसा लगा कथाकार एक सा थ कई लक्ष्यों को भेदना चाहता है।"ये तो साली आधी घर वाली को पूरी घर वाली बनानी चाहता था | सरकारी नौकरी थी |
वो तो नहीं बनी मगर अब वहां जा रहा है , यहां से वापस नहीं आएगा |
पोलिस रिपोर्ट तैयार क्ऱ रही थी और पास खड़े लोग बाहर को चल पड़े |"
अच्छी लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय मोहन बेगोवाल जी ।
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।
वार्ड के बिस्तर पर वह निढ़ाल पड़ा है, डॉक्टर कह रहे हैं कि ये नीला पड़ गया है, उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया है |
“नीला तो पैदा होते समय ही था, अब क्या होगा ?”, किसी पास खड़े ने कहा |
बात निकलती हुई इस पर आ कर रुक गई, सुबह तो नए कपड़े पहन और चौर बाज़ार से खरीदी काली एनक लगा कि गया था
काले चश्में का एक फायदा तो ये था कि आंख का टीर भी नजर नही आता था |
अभी कुछ दिन हुए घर वाली रब को प्यारी हो गई थी |
कुछ दिनों से लोग इस के घर अफ़सोस करने आ रहे थे|
मगर ऐसा हो जायेगा किसी को यकीन ही नहीं आ रहा था , ये कैसे हो गया ?
साथ आये लोग दो चिती में हैरान परेशान थे|
तभी दो लोग पोलिस के साथ वार्ड में दाखल हुए , उनमें से इक कह रहा था “साला छोटी का रिश्ता लेने गया था, अभी दिन भी क्या हुए थे?
खुद ही शर्म करनी चाहिए थी रिश्ता मांगने से |
ये तो साली आधी घर वाली को पूरी घर वाली बनानी चाहता था | सरकारी नौकरी के बल पे |
वो तो नहीं बन कर आई मगर अब वहां जा रहा है , यहां से वापस नहीं आएगा |
पोलिस रिपोर्ट तैयार क्ऱ रही थी और पास खड़े लोग बाहर को जाने लगे |
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