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तुम अपने दस्त-ए-हुनर से समां बदल डालो
अगर पसंद नहीं है जहाँ बदल डालो
गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है
सुकून गर न मिले आशियाँ बदल डालो
उदास गुल हैं जहाँ तितलियों नहीं जाती
तुम अपने प्यार से वो गुलसितां बदल डालो
जहाँ तलक न पहुँचती ज़िया न बादे सबा
तो फ़िर ये काम करो वो मकां बदल डालो
भरोसा है तुम्हें तीर-ए-नज़र पे तो जानाँ
अगर कमाँ है मुख़ालिफ़ कमाँ बदल डालो
अभी अभी तो हुआ है जवाँ मेरा गुलशन
ख़जां का रुख़ जो इधर हो ख़जां बदल डालो
मेरे वजूद से तुमको अगर महब्ब्त है
मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ बदल डालो
राजेश कुमारी ' राज '
Comment
आद० तेजवीर सिंह जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |
आदरणीया नीलम जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गज़ल।
गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है
सुकून गर न मिले आशियाँ बदल डालो
आदरणीय राजेश कुमारी जी, नमस्कार। बहुत ही उम्दा गजल हुई है। मुबारकबाद कबूल करें।
आदरणीय समर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका .
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मोहतरम जनाब तस्दीक साहब आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ
मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें । सही शब्द "खिज़ां "है देखियेगा । सादर
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से शुक्रगुज़ार हूँ
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,
अच्छे सरल-सरस बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति देने में सफल ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
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