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ग़ज़ल _मेरे हबीब सिर्फ तू क़ुरबत की बात कर

मफ ऊल _फाइलात_ मफाईल _फाइलुन

उलफत की गर नहीं तो अदावत की बात कर |
मेरे हबीब सिर्फ़ तू क़ुरबत की बात कर |

दीदार कर के आया हूँ मैं एक हसीन का
मुझ से न यार आज क़यामत की बात कर |

लोगों के बीच होने लगीं ख़त्म उलफतें
मज़हब के नाम पर न सियासत की बात कर |

तदबीर पर है सिर्फ नजूमी मुझे यकीं
तू देख कर लकीर न क़िस्मत की बात कर |

ईमान बेचता नहीं मैं हूँ सुखन सरा
मुझ से मेरे अज़ीज़ न दौलत की बात कर |

खिदमत तो वाल दैन की तू ने कभी न की
नादां ज़ुबान से न तू जन्नत की बात कर |

मुद्दत के बाद तुझ से अकेले मिले हैं वो
तस्दीक आज सिर्फ मुहब्बत की बात कर |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Mohammed Arif on June 7, 2018 at 1:53pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,

                                      बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र माक़ूल । दिली मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 7, 2018 at 11:16am

मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by TEJ VEER SINGH on June 7, 2018 at 11:00am

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।लाज़वाब गज़ल।

लोगों के बीच होने लगीं ख़त्म उलफतें 
मज़हब के नाम पर न सियासत की बात कर |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 6, 2018 at 8:00pm

जनाब महेंद्र कुमार साहिब  , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Mahendra Kumar on June 6, 2018 at 7:48pm

ख़ूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहिब. दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए. सादर.

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 6, 2018 at 6:29pm

जनाब नादिर साहिब आ दाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I मिसरे में एक को गिरा कर इक पढ़ना है |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 6, 2018 at 6:26pm

मुह तरमा रक्षीता साहिबा, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by रक्षिता सिंह on June 6, 2018 at 6:07pm

आदरणीय  तस्दीक़ जी, हर मिसरा बहुत ही खूबसूरत...मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।

Comment by नादिर ख़ान on June 6, 2018 at 5:26pm

खिदमत तो वाल दैन की तू ने कभी न की 
नादां ज़ुबान से न तू जन्नत की बात कर |

खूबसूरत गजल के लिए मुबारकबाद जनाब तसदीक साहब 

दूसरे शेर मे एक हसीन की जगह इक हसीन होना चाहिए था टायपिंग मिस्टेक लग रहा है 

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