For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकेली ...

मैं
एक रात
सेज पर
एक से
दो हो गयी
जब
गहन तम में
कंवारी केंचुली
ब्याही हो गयी

छोटा सा लम्हा
हिना से
रंगीन हो गया
मेरी साँसों का
कंवारा रहना
संगीन हो गया

एक अस्तित्व
उदय हुआ
एक विलीन
हो गया
और कोई
मेरे अस्तित्व की
ज़मीन हो गया

अजनबी स्पर्शों की
मैं
सहेली हो गयी
एक जान
दो हुई
एक
अकेली हो गयी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2018 at 7:31pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2018 at 7:31pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'   जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2018 at 7:31pm

आदरणीय  Samar kabeer   जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2018 at 7:30pm

आदरणीय Tasdiq Ahmed Khan  जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on July 10, 2018 at 7:30pm

आदरणीय  Mohammed Arif जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 5, 2018 at 5:50pm

उम्दा रचना आदरणीय..भावपूर्ण

Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2018 at 3:43pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बढिया लिखा है आपने। इस प्रस्तुति पर मेरी अनन्त बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on July 5, 2018 at 11:42am

जनब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 5, 2018 at 6:30am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।लाज़वाब प्रस्तुति।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 4, 2018 at 8:27pm

जनाब सुशील सरना साहिब  , सुन्दर और जज़्बाती रचना हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service