गीतों की लय
है ड़गमगाई,
सुरों की सरगम
स्तब्ध हो आई,
भाव खो बैठे,
हैं धीरज,
कैसे कह दें
अलविदा
आपको कविवर
हे नीरज,
शब्द-लय सुर-गीत
अप्रतिम -अद्वितीय ,
युगों- युगों रहेंगे
गुँजायमान,
है धन्य-धन्य,
यह भारत भूमि,
पाकर आपसा अनन्य,
कलम का धनी...!!
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आ0 शर्मा जी बहुत अच्छी कविता । बहुत बहुत बधाई ।
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई |
आदरणीया जनाब समर कबीर जी,बबीता जी, उस्मानी जी, तेजवीर जी - मेरी यह नन्ही सी कविता
तो साहित्य जगत के विशाल वट वृक्ष को एक नन्ही कोंपल की श्रृद्धाजंली है।
आप सभी का शुक्रिया
मुहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब, डॉ.गोपालदास'नीरज' को अच्छे शब्दों में श्रद्धांजलि पेश की आपने,वाक़ई वो गीतों के बादशाह थे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बहुत ही भावभीनी श्रद्धान्जलि हिन्दी के वीणा आदरणीय नीरज सर जी को भावपूर्ण सार्थक पंक्तियों में, बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया अपर्णा दी।
बहुत बढ़िया सार्थक भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि। हार्दिक आभार आदरणीया अपर्णा शर्मा जी। (ड़गमगाई= डगमगाई)
हार्दिक बधाई आदरणीय अपर्णा जी। बहुत ही मार्मिक और भावभीनी श्रद्धाँजली अर्पित की है।गीतों का कारवाँ थम गया। गीतों का बादशाह सो गया।सदियों में जन्म लेते हैं ऐसे महान कवि।शत शत नमन।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online