For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नीरज जी को श्रृद्धाजंली - अर्पणा शर्मा भोपाल

गीतों की लय 

है ड़गमगाई,

सुरों की सरगम

स्तब्ध हो आई,

भाव खो बैठे,

हैं धीरज,

कैसे कह दें

अलविदा

आपको कविवर

हे नीरज,

शब्द-लय सुर-गीत

अप्रतिम -अद्वितीय ,

युगों- युगों रहेंगे

गुँजायमान,

है धन्य-धन्य,

यह भारत भूमि,

पाकर आपसा अनन्य,

कलम का धनी...!!

 (मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 31, 2018 at 10:13pm

आ0 शर्मा जी बहुत अच्छी कविता । बहुत बहुत बधाई ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2018 at 2:51pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Arpana Sharma on July 22, 2018 at 3:40pm

आदरणीया जनाब समर कबीर जी,बबीता जी, उस्मानी जी, तेजवीर जी  - मेरी यह नन्ही सी कविता

 तो साहित्य जगत के विशाल वट वृक्ष को एक नन्ही कोंपल की श्रृद्धाजंली है।

आप सभी का शुक्रिया

Comment by Samar kabeer on July 22, 2018 at 12:15pm

मुहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब, डॉ.गोपालदास'नीरज' को अच्छे शब्दों में श्रद्धांजलि पेश की आपने,वाक़ई वो गीतों के बादशाह थे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on July 21, 2018 at 11:10pm

बहुत ही भावभीनी श्रद्धान्जलि हिन्दी के वीणा आदरणीय नीरज सर जी को भावपूर्ण सार्थक पंक्तियों में, बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया अपर्णा दी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 21, 2018 at 6:11pm

बहुत बढ़िया सार्थक भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि। हार्दिक आभार आदरणीया अपर्णा शर्मा जी। (ड़गमगाई= डगमगाई)

Comment by TEJ VEER SINGH on July 21, 2018 at 12:00pm

हार्दिक बधाई आदरणीय अपर्णा जी। बहुत ही मार्मिक और भावभीनी श्रद्धाँजली अर्पित की है।गीतों का कारवाँ थम गया। गीतों का बादशाह सो गया।सदियों में जन्म लेते हैं ऐसे महान कवि।शत शत नमन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service