For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'आदी की चादर' (छंदमुक्त, अतुकांत कविता)

मां, गुजराती चादर दे दे!
मैं 'फ़ादर' सा बन जाऊं!
जनता अपने राष्ट्र की
स्वामियों, बापुओं सा आदर दे दे!
अंग्रेज़ों सा व्यापारी बन कर,
तोड़ूं-फोड़ूं और मारूं-काटूं
विदेशी सूट पहन इतराऊं!
मां किसी 'गांधी' सी 'चादर' ओढ़ाकर
तस्वीरें, मूर्तियाँ मेरी सजवादे
मैं भी जिंदा लीजेंड, किंवदंती कहलाऊं!
मुग़ल, अंग्रेज़, हिटलर, कट्टर
सब से शिक्षायें ले लेकर
आतंक कर आतंकी न कहलाऊं !
मां 'धर्म' की बरसाती दे दे
बदनामियों सा न भीग जाऊं!
मां गुजराती चादर दे दे
'व्यापारों' के 'चरखे' चलवाऊं!
एक और 'गुजराती बाबू' कहलाऊं!
बापू को नोटों से भगवाकर
सबको भगवा-रंगवाकर
वोटों-नोटों पर छा जाऊं!
'मां' तुमसे भी दूर रह-रहकर
देश-विदेश घूम-घूम कर
अद्भुत सेवक, भक्त, लाड़ला कहलाऊं!
आदतों से ही नाम कमाकर
सुभाषण-कुभाषण दे देकर
नेता-अभिनेता, कलाकार सब कुछ बनकर
मोम की मूर्तियों में ढलकर
हर घर-मंदिर में छा जाऊं!
मां 'स्वधर्म' की चादर दे दे
'सेवकों' की 'रेबड़ियां' बटवाऊं!
रामराज्य की परिकल्पना दे देकर

विदेशों से कुछ ले-देकर
द्रोहियों को, दुश्मनों को भगवाऊं!
मां मुझको भी वैसी चादर दे दे
महान हस्तियों को भुलवाकर
इतिहास बदल-बदलवाकर
सारी दुनिया में केेेवल मैं महानतम हो जाऊं! 


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 13, 2019 at 3:07pm

मेरी रचना का अवलोकन करने वाले आज तक के सभी पाठकगण व व्यूअर्स को हार्दिक धन्यवाद इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 18, 2018 at 10:45am

रचना पर समय देकर अनुमोदन और प्रोत्साहित करने हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता  साहिबा।

Comment by babitagupta on August 15, 2018 at 4:24pm

तीखा प्रहार करती पंक्तियाँ ,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 5:38pm

कृपया 15 वीं पंक्ति के आरंभ का संशोधित रूप पढ़िएगा :

// बदनामियों सा // = //बदनामियों से// 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 5:38pm

त्वरित टिप्पणियों द्वारा अनुमोदन और विचार साझा करने हेतु और पुनः स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब , मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा और मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब।

 कृपया 15 वीं पंक्ति के आरंभ का संशोधित रूप पढ़िएगा :

// बदनामियों सा // = //बदनामियों से// 

Comment by Samar kabeer on August 9, 2018 at 4:05pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,"माँ खादी की चादर देदे, मैं गाँधी बन जाऊँ"

इन पंक्तियों से इस्तिफ़ादा करते हुए,अच्छी कविता लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 9, 2018 at 3:45pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, नमस्कार । बहुत ही उपयुक्त कटाक्षपूर्ण  रचना के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on August 9, 2018 at 10:20am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                          बहुत ही कटाक्षपूर्ण और विचारोत्तेजक कविता । इशारों ही इशारों में सबकुछ कह दिया और समझने वाले समझ गए होंगे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service