"अरे लल्ला, साहब लोगन के लिए दुइ कप चाय तो बनवा दो", दशरथ ने आवाज लगाया.
"रहने दीजिये, अभी तो यहाँ खाना खाया, चाय की जरुरत नहीं है", उसने दशरथ को मना किया. तब तक बगल में बैठे मलखान ने लल्ला को आवाज़ लगायी "अरे चाय नहीं, काफ़ी बनवाओ, और हाँ कम शक्कर वाली", और उन्होंने मुस्कुराते हुए ऐसे देखा जैसे मन की बात पकड़ ली हो. उसने फिर से मना किया लेकिन तब तक लल्ला घर के अंदर घुस गया. गाँव में अभी भी काफी चहल पहल थी.
"साहब आपको १२ बजे आना था, असली मेला तो ओही समय था. कल से अखंड रामायण करवाए थे जो दिन में १२ बजे ख़तम हुआ. फिर कुछ नाहीं तो १००० लोगन को भोजन कराया हमने", दशरथ अपनी रौ में बोले जा रहा था.
"अभी मीटिंग ख़तम हुआ तो निकले, अब आपके यहाँ तो आना ही था. वैसे सुबह तो उम्मीद नहीं थी कि आ पाएंगे", उसने भी अपनी बात रखी.
"हाँ, हम भी समझत हैं, आप लोगन के बहुत मीटिंग होत है. इहाँ हम लोग भी बहुत व्यस्त रहे", दशरथ ने इस तरह कहा जैसे सब जानता है.
"घर की औरतें भी तो बहुत थक गयी होंगी, कल से ही लगातार सबको भोजन पानी का इंतज़ाम उन्हीं के जिम्मे रहा होगा", उसको अभी भी काफ़ी के लिए अफ़सोस हो रहा था. दरअसल उसे अपना गाँव याद आ गया जहाँ उसकी माँ भी ऐसे ही बिना शिकायत किये काम में जुटी रहती थी.
"अरे साहब, अब एक्के तो काम रहत है उनके जिम्मे, अब उसमें काहे का थकान. असली में तो हम लोगन का देह दरद कर रहा है", दशरथ ने देह तोड़ते हुए कहा.
अचानक उसने रामदीन से पूछा "अच्छा ये बताईये, आपके घर के नींव में कौन सा ईंट लगा था, याद है".
दशरथ चिहुंक गया, इ कइसा सवाल? "उ तो याद नहीं है साहब", उसकी निगाहों में अकबकाहट झलक रही थी.
"यही दिक्कत है दशरथ, नींव के बारे में कोई नहीं सोचता, सबको ऊपर का मकान ही दिखता है", उसने कहा और उठ कर चल दिया.
परेशान दशरथ पीछे से आवाज़ लगाता रह गया "साहब काफ़ी आ गया है, पीते जाओ".
"मौलिक एवम अप्रकाशित"
Comment
बहुत बहुत आभार आ संतोष खीरवादकर जी
बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी
बहुत बहुत आभार आ प्रतिभा पाण्डे जी
बेहतरीन लघु कथा...बहुत -बहुत बधाई !!!!
आ. विनय जी, सुंदर कथा हुयी है , हार्दिक बधाई ।
बहुत गहन बात सहज ढंग से कह दी आपने ।हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी। विवरण थोड़ा कम होता तब भी प्रभाव मे असर नहीं पड़ता।
बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब
जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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