For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

.........

सात दशक से आज़ादी की केसरिया चादर को ओढ़े
हम बैठे हैं मौन
किंतु अगर अब भी ना बोले तो असली मुद्दों की बातों
पर बोलेगा कौन

........
मद तंद्रा में जो बैठे हैं उनको हमें जगाना होगा....
जलते हुए सभी प्रश्नों को उनसे हल करवाना होगा....
‘नया सवेरा आएगा’ यह स्वप्न अगर मन में ज़िंदा है
तब हमको सबसे पहले ख़ुद को ही सूर्य बनाना होगा.....

मस्तक पर हम संविधान का तिलक लगा कर,
मौलिक अधिकारों की बात किया करते हैं....
लेकिन प्रश्न ज़रा पूछें अपने समाज से,
घर में ही क्या सम-अधिकार दिया करते हैं ???

भेदभाव की कालिख ख़ुद मुट्ठी में बाँधे,
मनमुटाव रखते हैं सीने से चिपकाए....
बात खुलेपन की करते हैं चौबारों पर,
पर व्यवहारों में क्या उसे जिया करते हैं ???

अपने ही प्यारे आँगन के, श्वेत-श्याम दोनों हिस्सों को
बैर मिटा कर, प्रेम भाव से, हमको अब अपनाना होगा....
‘नया सवेरा आएगा’ यह स्वप्न अगर ज़िंदा है मन में
तब हमको सबसे पहले ख़ुद को ही सूर्य बनाना होगा....

अनगिन बलिदानों से पायी है आज़ादी,
हर बलिदानी को अर्पित शत बार नमन है....
सरहद पर जो वीर डटे हैं सीना ताने,
उनका क़र्ज़दार भारत का हर इक कण है....

लेकिन विषबेलों से बढ़ते भ्रष्ट आचरण,
औ’ कुरीतियाँ में जकड़ी कुछ परम्पराएँ....
इन सब से भी एक लड़ाई लड़नी होगी,
इनसे ज़ख़्मी आज तलक अपना आँगन है....

सामाजिक बदलाव दिखेगा केवल तब जब हम बदलेंगे
यही मूल मन्त्र है जिसको हम सबको दोहराना होगा....
‘नया सवेरा आएगा’ यह स्वप्न अगर ज़िंदा है मन में
तब हमको सबसे पहले ख़ुद को ही सूर्य बनाना होगा....

~डॉ० प्राची
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2018 at 9:25am

आ. प्राची बहन, सुंदर रचना हुयी है हार्दिक बधाई ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on August 26, 2018 at 2:01pm

आदरणीया डॉ प्राची जी सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 9:04pm

बड़ी ही सुन्दर और सार्थक रचना आदरणीया...

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:43pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी वर्तमान हालात पर अंतर्वेदना की गहन अनुभूति को चित्रित करती इस सृजन के हार्दिक बधाई।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on August 24, 2018 at 3:11pm

बेहतरीन ख़याल 

लेकिन क्या सिर्फ शिकायतें ?

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 24, 2018 at 4:56am

स्वाधीनता वर्षगांठ सुअवसर पर बेहतरीन चिंतन-मनन-मार्गदर्शन कराती रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ और आभार आदरणीया डॉ. प्राची  सिंह  साहिबा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
9 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
15 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
19 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
39 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
40 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service