राखी के पावन त्यौहार पर कुछ दोहे :
राखी का त्यौहार है, बहना की मनुहार।
इक -इक धागा प्यार का, रिश्तों का उपहार।।
'भाई बहना से सदा', माँगे उसका प्यार।
राखी पावन प्रेम के ,बंधन का आधार।।
बाँध जरा तू हाथ पर, बहना अपना प्यार।
दूँगा तुझको आज वो, जो मांगे उपहार।।
राखी है इस हाथ पर, बहना तेरी शान।
तेरे पावन प्यार पर, मुझको है अभिमान।।
सावन में सावन बहे, आँखों से सौ बार।
राखी पर परदेस से,'बहना भेजे प्यार'।।
आ न सकी परदेस से, राखी अबकी बार।
राखी के त्यौहार पर,बह निकली जलधार।।
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कोशिशों और भावमय दोहों से मन मुग्ध है.
सावन और रक्षाबन्धन का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है. आपने इनकी अन्योन्याश्रयता को सहज किन्तु आवश्यक भाव दिया है.
शुभातिशुभ
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा एवं सुझावों का तहे दिल से शुक्रिया। बहुत सुंदर संशोधन हैं। मैं अभी एडिट करता हूँ। आपका पुनः आभार।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सृजन की मनोहारी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदo babitagupta जी सृजन की मनोहारी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन की मनोहारी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन की मनोहारी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
जनब सुशील सरना जी आदाब,रक्षा बंधन के मौक़े पर अच्छे दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ,साथ ही आपको रक्षा बंधन की बधाई भी ।
' हर दम भाई बहिन से, माँगे उसका प्यार'
'इस पंक्ति के विषम चरण में 'बहिन से' की मात्रा 122 है, और होना चाहिए 212,इसे यूँ कर सकते हैं:-
'भाई बहना से सदा'
' बहिन ने भेजा प्यार'
इस पंक्ति में 12 मात्रा हैं, इसे यूँ कर सकते हैं:-
'बहना भेजे प्यार'
आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहे हुये हैं । हार्दिक बधाई ।
भाई बहिन के रूढने मनाने वाले पर्व की अच्छी पंक्तियाँ,बधाई स्वीकार कीजियेगा ।आदरणीय सरजी।
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। प्रासंगिक और समयानुकूल बेहतरीन दोहे, बधाई स्वीकार कीजिये
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