For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताक रही गौरैया प्यासी - गीत

गौरैया है कितनी प्यासी

 

झुलस रहा तन, व्याकुल है मन,  

छायी है चहुँ ओर उदासी.

रख दो एक सकोरा पानी,

ताक रही गौरैया प्यासी.

 

एक घौंसला था छोटा सा,

उड़ गया प्रगति की आँधी में.  

नहीं भरोसा रहा किसी को,

उस गाँवों वाले गाँधी में.

 

तपते पत्थर नन्दन वन में,

झुलस रहे हैं वन के वासी.

 

नदियों का पानी खतरे में,

सिकुड़ रहे हैं रोज किनारे.

पुरातत्व की हुए धरोहर,

पोखर कूप-बावड़ी सारे.

 

लगे नलों पर लम्बी लाइन,

गली-गली में बारहमासी.

 

मिट्टी का घट चौराहे पर,

तपन सूर्य की झेल रहा है.

प्लास्टिक का कंटेनर घर में,

बोटल के सँग खेल रहा है.

 

महल बनाकर भी बुधिया को,

मिल पाती है रोटी बासी.

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 940

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:40pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी शुभ संध्या , बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:39pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी शुभ संध्या , बहुत बहुत धन्यवाद आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:39pm

आदरणीय  Ajay Tiwari  जी शुभ संध्या , बहुत बहुत धन्यवाद आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:39pm

आदरणीय  डॉ छोटेलाल सिंह जी शुभ संध्या , बहुत बहुत धन्यवाद आपका 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 20, 2018 at 5:51pm

वाह आदरणीय शर्मा जी बहुत ही सुन्दर गीत् रचा है...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2018 at 6:03pm

आ. भाई बसंत जी, बेहतरीन गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on September 19, 2018 at 4:21pm

आदरणीय बसंत जी, एक और अच्छी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on September 19, 2018 at 2:15pm

आदरणीय बसन्त कुमार शर्मा जी इस मनमोहक सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 18, 2018 at 5:23pm
Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2018 at 2:41pm

आद0 बसन्त कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन और सरस रचना हुई है। बहुत बहुत बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service