For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"शैतानियत और कलम" (लघुकथा)

"नहीं, मुझे न तो फोटो लेने चाहिए और न ही वीडियो क्लिप बनाने की कोशिश!" यह सोचकर उसने अपना स्मार्ट फोन वापस जेब में रखा और सड़क पर मौत से लड़ती युवती को घेरे भीड़ को चीरता आगे निकल गया।


"किसी अपराध को होते देख लो, या पीड़ित को तड़पते देखो, तो चुप्पी साधकर ऐसे बन जाओ, जैसे कि कुछ देखा ही नहीं!" परिवार व दफ़्तर के सहकर्मियों और पुलिस-कोर्ट से दो-चार हो चुके तज़ुर्बेकार दोस्तों की हिदायतें याद आ रहीं थीं उसको!


थोड़ा आगे चलने पर उसे उसके पिताजी मिल गये। पूरी घटना उसने पिताजी को सुनाई। मुंह पर अपनी अंगुली रखकर समझाते हुए वे बोले - "ठीक किया तुमने! देखो, सुनो सबकी और सब कुछ; पर बोलो कुछ नहीं! .. नेट पर कभी कुछ भी वैसा अपलोड मत करो! गवाही से वाह-वाही मीडिया में मिल सकती है, सुरक्षा नहीं!"


पिताजी वहीं से उसके साथ वापस घर की ओर लौटने लगे।


"शिक्षक दिवस पर तुम्हें सम्मानित किया गया था और तुम्हारे पिताजी को आदर्श शिक्षक चुना गया था!" उसकी अंतर्आत्मा ने उसे धिक्कारा।


"ज़्यादा भावुकता और संवेनशीलता की ज़रूरत नहीं, समझे! भीड़ में और लोग भी तो थे; कहानी या आलेख में अब तुम अपनी भड़ास निकाल देना, ठीक है!" व्यावहारिकता के 'शैतान' ने उसको हालत मुताबिक़ सलाह दी।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 30, 2018 at 5:37pm

मेरी इस रचना पर भी समय देकर एक नियमित पाठक के विचारों/राय से अवगत करा कर मेरी यूं हौसला अफ़ज़ाई करने हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब।

Comment by vijay nikore on September 24, 2018 at 5:19am

आपकी लघुकथा सदैव शिक्षाप्रद होती है, या समाज के प्रति कटाक्ष से ध्यान आकृषित करती है, अथवा दोनों। इसीलिए आनन्द आता है आपकी लघुकथाएँ पढ़ कर। बहुत बधाई भाई शेख़ उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 21, 2018 at 12:13am

रचना पर समय देकर अपनी राय सांझा करने और मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 20, 2018 at 6:07pm

अच्छा कटाक्ष किया है आदरणीय वर्तमान सामाजिक सोच पे...

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 18, 2018 at 8:54pm

अपने विचार सांझा करते हुए अनुमोदन और.हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब, जनाब सुशील सरना साहिब और जनाब 

 सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 18, 2018 at 8:36pm

कृपया अंतिम पंक्ति में /हालत// की जगह //हालात // पढ़िएगा।

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2018 at 7:08pm

आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... वर्तमान सोच पर करारा तंज। सामाजिक उत्तरदायित्व सिकुड़ते जा रहे हैं ... बदलती परिस्थितियों ने संवेदनाओं पर प्रहार कर उन्हें घायल कर दिया है। बहरहाल इस प्रेरक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2018 at 2:40pm

आद0 शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया व्यंग्यात्मक शिक्षाप्रद लघुकथा पर आपको बधाई देता हूँ। सादर

Comment by Samar kabeer on September 18, 2018 at 2:31pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service