सोचिये मत यहाँ ख़ता क्या है ।
है इशारा तो पूछना क्या है ।।
अब मुक़द्दर पे छोड़ दे सब कुछ ।
सामने और रास्ता क्या है ।।
वो किसी और का हो जाएगा ।
बारहा उसको देखता क्या है ।।
गर है जाने की ज़िद तो जा तू भी ।
अब तेरा हमसे वास्ता क्या है ।।
इतना मासूम मत कहो उसको।
इल्म कुछ तो है आसना क्या है ।।
उसकी फ़ितरत से ख़ूब वाकिब हूँ ।
ख़त में उसने हमें लिखा क्या है ।।
जब दवा ही नहीं है पास तेरे ।
दर्दो ग़म मेरा पूछता क्या है ।।
आजकल बेख़ुदी में रहते हो ।
इश्क़ फिर से कहीं हुआ क्या है ।।
आग जब आशिकी लगा बैठी ।
क्या बता दूँ यहां बचा क्या है ।।
रोज़ मजबूरियों में मरता हूँ ।
मौत का और फ़लसफ़ा क्या है ।।
यूँ बिखरती हैं ख़्वाहिशें सारी ।
जिंदगी एक हादसा क्या है ।।
तेरी बस्ती में रिन्द हैं दाखिल ।
तिश्नगी का तुझे पता क्या है ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आदरणीय भाई नवीन जी बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।सादर
आदरणीय त्रिपाठी जी अच्छी ग़ज़ल कही..
आ. भाई नवीन जी, खूबसूरत गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
"आशना" का अर्थ स्त्री,प्रेमी नहीं,जान पहचान वाला है,ऐडिट कर दें ।
आ0 छोटे लाल सिंह साहब स्प्रेम आभार ।
आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।
आ0 कबीर सर नमन
शब्द आशना है सर स्पेलिंग मिस्टेक है ।
आशना का अर्थ स्त्री प्रेमी।
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,'ग़ालिब' की ज़मीन में अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
सामने और रास्ता क्या है
इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।
' इल्म कुछ तो है आसना क्या है'
इस मिसरे में 'आसना' का क्या अर्थ लिया है?
हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बेहतरीन गज़ल।
जब दवा ही नहीं है पास तेरे ।
दर्दो ग़म मेरा पूछता क्या है ।।
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी बहुत बेहतरीन गजल मन प्रसन्न हो गया दिली मुबारकबाद
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online