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वाह वृष्टि जी आपकी सुधा वृष्टि से मन अभिभूत हुआ इस कालजयी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
आदरणीया वृष्टि जी। अच्छी अतुकांत कविता की प्रस्तुति। बधाई।
आद0 वी एम वृष्टि जी सादर अभिवादन। बढिया अतुकांत सृजन हुआ है। बधाई
//आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई//
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
//ख़ाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे//
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
आदरणीय समर कबीर जी, आपसे निवेदन है कि क्या आप इन दोनों शेरो के मात्राओ का क्रम बताएंगे?.. क्योकि मेरी समझ के बाहर हो रहा ये।
सादर! शुभ रात्रि!
जी,ठीक है,प्रयासरत रहें ।
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