For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मस्तिष्क और हृदय

मस्तिष्क !
और... हृदय!
जैसे जमी
और आसमान !
जैसे नदी के
दो किनारे !
जैसे--
पूरब और पश्चिम !
इनके बीच
इंसान का,
रफ्ता रफ्ता
पिस जाना ।
जैसे-
दो पाटों के बीच
गेहूं का एक दाना ।
महाभारत से भयावह है
इनके द्वंद का मंजर
अभी बाकी है कुरुक्षेत्र
मेरे भीतर ,,,आपके अंदर !!
©vrishty
मौलिक व अप्रकाशित
(अतुकांत)

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by V.M.''vrishty'' on October 16, 2018 at 9:33pm
आदरणीय डॉ छोटेलाल जी, प्रणाम! मुझे नही पता मेरी रचना आपकी इस तारीफ के काबिल है भी या नहीं। लेकिन अभिभूत हूँ मैं। बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद!
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 16, 2018 at 3:21pm

वाह वृष्टि जी आपकी सुधा वृष्टि से मन अभिभूत हुआ इस कालजयी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by V.M.''vrishty'' on October 14, 2018 at 4:47pm
आदरणीया नीलम जी! रचना तक आने एवं मेरे पुनर्बलन के लिए सादर धन्यवाद!
Comment by Neelam Upadhyaya on October 13, 2018 at 3:54pm

आदरणीया वृष्टि जी। अच्छी अतुकांत कविता की प्रस्तुति। बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2018 at 1:18pm

आद0 वी एम वृष्टि जी सादर अभिवादन। बढिया अतुकांत सृजन हुआ है। बधाई

Comment by Samar kabeer on October 13, 2018 at 11:29am

//आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई//

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन

221      2121   1221    212

//ख़ाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे//

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन

2122       1122     1122      22

Comment by V.M.''vrishty'' on October 13, 2018 at 12:05am

आदरणीय समर कबीर जी, आपसे निवेदन है कि क्या आप इन दोनों शेरो के मात्राओ का क्रम बताएंगे?.. क्योकि मेरी समझ के बाहर हो रहा ये।

सादर! शुभ रात्रि!

Comment by Samar kabeer on October 12, 2018 at 9:13pm

जी,ठीक है,प्रयासरत रहें ।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 12, 2018 at 4:26pm
आदरणीय समर कबीर जी!
((कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई))

((अपने होने का हम इस तरह पता देते थे
ख़ाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे))
इन दो शेर में बह्र ठीक है????
Comment by V.M.''vrishty'' on October 12, 2018 at 3:45pm
आदरणीय समर कबीर जी! हार्दिक धन्यवाद! आपकी नज़र वाकई बहुत पारखी है। आपके सानिध्य में मेरी त्रुटियों में कमी आये तो ये मेरा सौभाग्य है। पुनः आभार!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service