For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 122

अभी तक आना जाना चल रहा है ।
कोई रिश्ता पुराना चल रहा है ।।

सुना है शह्र की चर्चा में आगे ।
तुम्हारा ही फ़साना चल रहा है ।।

इधर दिल पर लगी है चोट गहरी ।
उधर तो मुस्कुराना चल रहा है ।।

कहीं तरसी जमीं है आब के बिन ।
कहीं मौसम सुहाना चल रहा है ।।

तुझे बख्सा खुदा ने हुस्न इतना ।
तेरे पीछे ज़माना चल रहा है ।।

दिया था जो वसीयत में तुम्हें वो ।
अभी तक वह खज़ाना चल रहा है ।।

तुम्हारे मैकदे में देखता हूँ ।
बहुत पीना पिलाना चल रहा है ।।

ग़ज़ल को गुनगुनाने की थी हसरत ।
तस्व्वुर में तराना चल रहा है ।।

यूँ उसकी शायरी पे जाइये मत ।
वहाँ मकसद रिझाना चल रहा है ।।

अरूजे फ़न से अब डरना है कैसा ।
तुम्हारे साथ दाना चल रहा है ।।

शराफत बिक रही बाज़ार में अब ।
शरीफों का बयाना चल रहा है ।।

सुना है शह्र की चर्चा में आगे ।
तुम्हारा ही फ़साना चल रहा है ।।

डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 18, 2019 at 12:06pm

जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'तुझे बख्सा खुदा ने हुस्न इतना'

इस मिसरे में 'बख्सा' को "बख़्शा" कर लें ।

'दिया था जो वसीयत में तुम्हें वो'

इस मिसरे को यूं कर लें,खटक निकल जायेगी:-

"दिया था जो वसीयत में तुम्हें,क्या"

'अरूजे फ़न से अब डरना है कैसा'

इस मिसरे में 'अरूजे फ़न' को "अरूज़-ओ-फ़न" कर लें ।

Comment by Md. Anis arman on January 18, 2019 at 10:50am

अच्छी ग़ज़ल हुई है नवीन मणि त्रिपाठी जी बहुत बहुत बधाई                ग़ज़ल को गुनगुनाने की थी हसरत ।
तस्व्वुर में तराना चल रहा है ।। ये खूब कही  आपने 

Comment by Mahendra Kumar on January 17, 2019 at 9:09pm

बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय नवीन जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

1. //दिया था जो वसीयत में तुम्हें वो । 
    अभी तक वह खज़ाना चल रहा है ।।// इस शेर के ऊला में "वो" और सानी में "वह" आपस में टकराने के कारण खटक रहे हैं.

2. //सुना है शह्र की चर्चा में आगे ।  
    तुम्हारा ही फ़साना चल रहा है ।।// यह शेर दो बार पोस्ट हो गया है.

सादर.

Comment by TEJ VEER SINGH on January 17, 2019 at 3:12pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।लाज़वाब गज़ल।

शराफत बिक रही बाज़ार में अब ।
शरीफों का बयाना चल रहा है ।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service