For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कर्म आधारित दोहे :

कर्म आधारित दोहे :

अपने अपने नीड़ की, अपनी अपनी पीर।
हर बंदे के कर्म ही, हैं उसकी तकदीर।।

पाप पुण्य संसार में, हैं कर्मों के भोग।
सुख-दुख पाना जीव का ,मात्र नहीं संयोग।।

हर किसी के कर्म का, दाता रखे हिसाब।
देना होगा ईश को ,हर कर्म का जवाब।।

चाँदी सोना धन सभी, हैं जग में बेकार।
सद कर्मों से जीव का, होता बेड़ा पार।।

जग में आया छोड़कर, जब तू अपना धाम।
धन अर्जन के कर्म में, भूल गया तू राम।।


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1993

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on June 23, 2019 at 3:33pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब सौरभ पाण्डेय जी की बातों का संज्ञान आप ले ही चुके हैं ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 22, 2019 at 7:18pm

आदरणीय सुशील जी नमस्कार, 

जीवन के सत्य पर आधारित बहुत ही सुंदर दोहे..

बहुत बहुत बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on June 22, 2019 at 4:23pm

आदरणीय  narendrasinh chauhanजी सृजन पर आपके दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 22, 2019 at 4:18pm

आदरणीय  प्रदीप देवीशरण भट्ट जी सृजन पर आपके दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 22, 2019 at 4:17pm

आदरणीय  डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन पर आपके दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on June 21, 2019 at 5:15pm

बहुत खुब सुशील जी

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on June 21, 2019 at 7:53am

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन ,जगत के सार को परिभाषित करती उत्तम रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by narendrasinh chauhan on June 20, 2019 at 7:23pm

खूब सुन्दर दोहावली सर 

Comment by Sushil Sarna on June 20, 2019 at 5:30pm


परम आदरणीय सौरभ पांडेय जी , सादर प्रणाम .... सृजन की आत्मीय प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभार। मेरी अल्प बुद्धि के अनुसार मुझे नीड की का प्रयोग सही लगा बाकी आप ज्ञानी हैं आप सही बता सकते हैं। आपका कहना सही है कि नीड की और नीड में दोनों के अर्थ भिन्न हो जाएंगे। हर बंदे के कर्म ही, हैं उसकी तकदीर।। सर पहले मैंने यही किया था फिर बहुत देर तक सोचता रहा ही और हैं के स्वर को तोड़ने के लिए है मध्य में कर दिया मध्य में है में बिंदी कॉपी पेस्ट के कारण है अन्यथा है होना चाहिए। हो जाता है कभी कभी। इसे मैं संशोधित कर दूंगा। सृजन की विस्तृत समीक्षा करने , त्रुटि इंगित करने के लिए दिल से आभार। सादर ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 20, 2019 at 4:28pm

आदरणीय सुशील जी, कर्म आधारित इन दोहोंं के लिए हार्दिक बधाइयाँ .. 

अपने अपने नीड़ की, अपनी अपनी पीर ............ नीड़ की पीर या नीड़ में पीर ? क्योंकि दोनों के दो तरह के अर्थ होंगे.   
हर बंदे के कर्म ही, हैं उसकी तकदीर।। ............ दूसरा चरण ’हैं’ से प्रारम्भ हो रहा है. वैसे वाक्य सँभला हुआ है. 

पाप पुण्य संसार में, हैं कर्मों के भोग। ................. कर्मों के हैंं भोग .. किसी चरण को आधे वाक्य से प्रारम्भ नहीं करना उचित है. 
सुख-दुख पाना जीव का ,मात्र नहीं संयोग।। .........  वाह ! 

हर किसी के कर्म का, दाता रखे हिसाब। ............  वाह ! 
देना होगा ईश को ,हर कर्म का जवाब।। ............. वाह ! 

चाँदी सोना धन सभी, हैं जग में बेकार। ................ जग में हैं बेकार .. 
सद कर्मों से जीव का, होता बेड़ा पार।। ............... सद्कर्मों .. वाह ! 

जग में आया छोड़कर, जब तू अपना धाम। .......... वाह ! 
धन अर्जन के कर्म में, भूल गया तू राम।। ............. वाह ! 

आपके इस सार्थक प्रयास के लिए शुभकामनाएँ .. 

शुभातिशुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service