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गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥....बहुत ही सुन्दर ,यथार्थ चित्रण , हार्दिक बधाई आदरणीय डाक्टर विजय सर ! सादर
आदरणीय विजय शंकर सर इस बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिए नमन.
गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ..बधाई आपको . |
कितनी जागरूकता , कितने लोग ,
गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥---------------विजय सर i बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति i
कितनी जागरूकता , कितने लोग ,
गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥
.... बहुत ही सुंदर और यथार्थ को चरित्रार्थ करती रचना … बिलकुल सही है आदरणीय गरीब नहीं होगा तो कई बड़े बड़े गरीब हो जायेंगे … अगर इनके चूल्हे जल जाएंगे तो महलों के चूल्हे बंद हो जाएंगे .... आदरणीय नमन आपकी लेखनी को और इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई डॉ विजय जी
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