For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हँस-हँस कर करते हैं आँसू ,सुख दुःख का व्यापार ,
बाहर वाली चौखट दुखती , चुभते वन्दनवार !!

मुरझाकर भी हर पल सुरभित ,पात-पात साँसों का,
मन को मजबूती देता है ,संबल कुछ यादों का !
क्षण भर हँसता,बहुत रुलाता,कुछ अपनों का प्यार ,
सारी उमर बिता कर पाया,यह अद्भुत उपहार ..!!

सिहरन नस-नस में दौड़े जब,हाँथ हवा गह जाती,
गुजरी एक जवानी छोटी, बड़ी कहानी गाती !
यूँ तो गँवा चुके हैं अपनी,सज धज सब श्रृंगार ,
है अभिमान अभी तक करता,नभ झुककर सत्कार .!!

दो प्यासी आँखें नित जिनके,देख रहीं हैं सपने,
होली दीवाली आते हैं ,अतिथि सरीखे अपने !
क्या कम है जो खिंची नहीं है आँगन में दीवार,
काल कहाँ ले आया जीवन ,एकाकी है द्वार ..!!

संघर्षों के बीच न जाने, कैसे यौवन गुज़रा,
याद नहीं खुलकर के कब था ,हँस पाया मन पगला !
कोने -कोने दहक रहे हैं ,अनुभव के अंगार,
कब तक ढोएँ इकतरफा इन, संबंधों का भार .!

-भावना तिवारी-

Views: 403

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:18pm

आदरणीया बहुत ही सुन्दर गीत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति हार्दिक बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:14pm

दो प्यासी आँखें नित जिनके,देख रहीं हैं सपने,
होली दीवाली आते हैं ,अतिथि सरीखे अपने !
क्या कम है जो खिंची नहीं है आँगन में दीवार,
काल कहाँ ले आया जीवन ,एकाकी है द्वार ..!!

संघर्षों के बीच न जाने, कैसे यौवन गुज़रा,
याद नहीं खुलकर के कब था ,हँस पाया मन पगला !
कोने -कोने दहक रहे हैं ,अनुभव के अंगार,
कब तक ढोएँ इकतरफा इन, संबंधों का भार .!

sundar abhivyakti hetu badhai 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:12pm

संबंधों की पहेली में उलझा संवेदनशील मन, क्या क्या महसूस करता है, उसकी कोमल अभिव्यक्ति.

बहुत सुन्दर गीत..हार्दिक बधाई डॉ. भावना तिवारी जी  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 2:42pm

//दो प्यासी आँखें नित जिनके,देख रहीं हैं सपने,
होली दीवाली आते हैं ,अतिथि सरीखे अपने !//

आहा !! भावनाओं का ज्वार समेटी हुई ये पक्तियां बहुत ही ससक्त बन पड़ीं हैं, पूरी रचना कई कई बार पढ़ने को मजबूर करती है, बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकार करें आदरणीया भावना तिवारी जी ।

Comment by Pankaj Trivedi on January 9, 2013 at 9:43pm

भावना जी,

संघर्षों के बीच न जाने, कैसे यौवन गुज़रा,
याद नहीं खुलकर के कब था ,हँस पाया मन पगला !
कोने -कोने दहक रहे हैं ,अनुभव के अंगार,
कब तक ढोएँ इकतरफा इन, संबंधों का भार .!

इस बेहतरीन गीत-रचना के लिये दिल से बधाई... अदभूत !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 9, 2013 at 4:02pm

bahut sundar is kavita ke liye bahut bahut badhaai aapko aadarneeyaa

Comment by vijay nikore on January 9, 2013 at 3:28pm

भावना जी, इस सुन्दर कविता के लिए बधाई।

विजय निकोर

Comment by Shyam Narain Verma on January 9, 2013 at 2:55pm

BAHOT KHOOB.....................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service