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छुपा ना सकोगे मेरी चाहत को

यूँ नजरें चुराने से

धडकता है दिल तुम्हारा

मेरे ही बहाने से

पलभर का ही साथ है

या पल दो पल की बात है

यूँ ही तो नही

तुमसे हुई मुलाकात है

धडकता है दिल मेरा

तेरी ही धड़कन से

मौन है सारे शब्द

बोलते नयन है नयन से

बहुत सम्हाला इस दिल को

पर होकर रहा बेकाबू

दिल के हाथों है मजबूर

जा नही सकते तुझसे दूर

जाने किससे हुई खता

जाने किसका है क़ुसूर

सरिता पन्थी  "मौलिक व अप्रकाशित "

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 16, 2014 at 7:02pm

सुंदर प्रस्तुति प्रयास के  लिए बधाई सरिता पंथी जी 

Comment by sarita panthi on November 16, 2014 at 4:37pm

आ. somesh kumar जी एवं आ. Hari Prakash Dubey  जी शुक्रिया  और आशा करती हु आप सभी के सहयोग से मुझे बहुत कुछ सिखने को मिलेगा 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 16, 2014 at 10:54am

अच्छा प्रयास है ..हार्दिक बधाई !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 15, 2014 at 12:26pm

वाह

जादू तेरी नजर---

Comment by somesh kumar on November 15, 2014 at 11:41am

नयनों ने कहा /नयनों ने सुना 

नयन टकटकी लगाए थे 

नयनों की नजर तेज़ लगी 

 नयन मिले तो घबराए थे |

नयनों ने बांधे बंध 

नयनों से बही  नदी 

नयन पल भर के छल

नयनों में पूरी सदी |

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