परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 116वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब फ़िराक़ गोरखपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"इस ज़मीन ओ आसमाँ को क्या समझ बैठे थे हम "
2122 2122 2122 212
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
(बह्र: रमल मुसम्मन महज़ूफ़ )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 21 फरवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 22 फरवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । आपको गजल अच्छी लगी, यह मेरे लिए खुशी का संदर्भ है । टंकण की त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार । वस्तुतः आज के लिए दूसरी गजल लिखी थी, सुबह ही विचार बदला और यह गजल लिखकर पोस्ट कर दी ।
आदरणीय लक्ष्मण भाई, अगर आपने ये ग़ज़ल इतने कम वक़्त में लिखी है तो आप दोगुनी दाद के हक़दार हैं, सादर
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें ।
आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार । हर बार की तरह आपकी उपस्थिति के बाद ही मन को आश्वस्ति हुई है सादर...
जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब, अच्छी गज़ल हुई है मुबारकबाद कुबूल फरमाएं l
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, हार्दिक आभार..
ग़ज़ल की अच्छी कौशिश हुई लक्ष्मण जी
आ. भाई अजय जी, हार्दिक धन्यवाद..
लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई
आ. भाई अनीश जी, सादर आभार..
आदरणीय लक्ष्मण जी तरहही मिसरे पर आपने अच्छी ग़ज़ल कहीं इसके लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आ. भाई रवि शुक्ला जी, सादर अभिवादन । उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
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