For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-164

विषय : "जल-जीवन-हरियाली"

आयोजन अवधि- 13 जुलाई 2024, दिन शनिवार से 14 जुलाई 2024, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.


ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन 'घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 13 जुलाई 2024, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक

ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

Views: 746

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

छन्न पकैया छन्न पकैया, लाए हैं हरियाली।

बात समर की कहें समर जी, बात समझने वाली।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, आई बरखा रानी।

बोल रहे हैं समर कबीरा, रचना है तूफ़ानी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, करती कोयल जैसे।

समर कबीरा छंद बनाते, बिल्कुल वैसे-वैसे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, उड़ते भिड़ते बादल।

साहब छंद लिखे फिर ऐसे , सब हो जाएं कायल।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मन करते चंचल।

बहुत बधाई हम भी देते, इन छंदों पे पल-पल।। 

जनाब मिथिलेश वामनकर जी, रचना की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर

छन्न पकैया छन्न पकैया, लाएगी हरियाली
अम्बर पर छाई है यारो, आज घटा जो काली// अहा..बहुत सुन्दर..हार्दिक बधाई आदरणीय 

मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी, रचना की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

  आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, हरियाली हो, समय से बरसात हो तो मौसम  सुहाना हो जाता है. जो मनभावन होने के साथ ही साथ धरती के प्रत्येक जीव की प्रथम आवश्यकता भी है. सार छंद के माध्यम से आपने प्रदत्त  विषय को सार्थकता प्रदान की है. सभी छंद मनोरम रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 

जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, मेरे इस त्वरित प्रयास की आपने सराहना की मेरा लिखना सार्थक हो गया,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। 

सार छंद के माध्यम से आपने प्रदत्त  विषय को सार्थकता प्रदान की है। सभी छंद मनोरम हुए हैं।  हार्दिक बधाई स्वीकारें। 

जनाब लक्ष्मण धामी जी रचना की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

वाह,विषय पर अति सुंदर सार छंद। बधाई हो आदरणीय कबीर जी।

जनाब हरिओम जी रचना की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

जन-जन बन जाता जो माली
सधते  जल-जीवन-हरियाली।।
*
काटे जंगल, नदियाँ लूटी
व्यापारी बन दौलत कूटी।।
मोल न जाना इस माटी का
दोहन कर डाला धरती का।।
गगन भले पिण्डों की थाली
गढ़ी  हुई  सब  नजरें काली।।
*
मंगल, चाँद तलाशे अम्बर
संचित करते नहीं धरा पर।।
गये  उजाड़े  जंगल आधे
जन साधारण चुप्पी साधे।।
नदियों को जो करते नाली
सब सरकारें उन की पाली।।
**
डाल रसायन भरा पतीला
धरती को करते जहरीला।।
कहें सभ्यता हम तुम उत्तम
खींच कोयला हीरे नीलम।।
कोख धरा की यूँ कर खाली
सजा रहे नित अपनी थाली।।
*
दिये धरा को तन-मन छाले
प्राण वायु के प्राण निकाले।।
दोहन पर दोहन करते नित
झोली फटने तक भरते नित।।
नीयत में भर कर कंगाली
चाह रहे हैं सब खुशहाली।।
*
हुई सभ्यता बड़ी निगोड़ी
वर्षा जल को राह न छोड़ी।।
बाँध दिये सब पाट नदी के
उस पर कहते नयी सदी के।।
करो  धरा  की   देखा-भाली
तब होगी चहुँदिश खुशहाली।।
**
**
मौलिक/अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"अनुमोदन हेतु आभार "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"बढ़िया परिमार्जन"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार। "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, मेरे प्रयास को मान देने और उसके मर्म तक पहुंचकर अनुमोदित करने के लिए…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आदरणीय हरिओम जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर प्रकृति को संसृति करता हूं दूसरा…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"  जी ! अच्छा परिमार्जन किया है आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी.सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त विषय पर दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने उत्तम रचे हैं. हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। सुंदर कुंडलियाँ हुई हैं । हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
"   आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुत गीत के भाव आप तक पहुँचे मेरा रचना कर्म सफल हुआ.…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service