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वही तो सृजनकार है....

जिसका अंक है कोई, न रूप कार है,

जो प्रकाश पुंज है, जो निर्विकार है,

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।


ये नगर ये गाम गाम, वन सघन ये धाम धाम,

भोर ये खिली खिली, लालिमा लिए ये शाम।

ये सूर्य चंद्र ये धरा, समुद्र मोतियों भरा।

ये पंछी पंख खोलते, वृक्ष वृक्ष डोलते।

धरती से व्योम तक.., जंगल और पुष्प से,

दूर दृष्टि छोर तक.., दृष्टि अति अल्प से


जब एक एक सृन से वो खुद साकार है

फिरे तू क्यों ये पूछता, ये किसका कार है!

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।

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Comment by इमरान खान on July 14, 2012 at 5:02pm
मैं सभी मित्रों का दिल की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ, और इतनी देर से प्रतिउत्तर देने पर मुझे खेद है,
आशा है आप सभी का सहयोग और मार्गदर्शन मुझे प्राप्त होता रहेगा.... :-)
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 11, 2012 at 7:21pm

swarg si anubhuti hoti hai aisi kavita padhkar...

Comment by Bhawesh Rajpal on May 10, 2012 at 10:05am

जिसका अंक है कोई, न रूप कार है,

जो प्रकाश पुंज है, जो निर्विकार है,

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।

Comment by Bhawesh Rajpal on May 10, 2012 at 10:04am
उस परम शक्ति का प्रकृति के हर रूप में  अहसास  कराने  में समर्थ कविता !
इमरान जी , आपको हार्दिक बधाई ,  अभिवादन  ! 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2012 at 5:32pm

बहुत सुन्दर प्रकृति  की छटा बिखेरती कविता बहुत खूब 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 9, 2012 at 5:06am

प्रिय इमरान जी, बहाल उसके सिवा और कों हो सकता है महान चित्रकार , रचनाकार, सृजन हार, या फिर तारणहार ! बहुत ही सुन्दर चित्रण उस मायावी प्रभु की! नमन उनको , गीत को और आपको भी! 

Comment by MAHIMA SHREE on May 8, 2012 at 10:08pm

इमरान जी बहुत ही sunder गीत .मैं सरिता दी से सहमत हूँ बिलकुल वही गीत अनायास याद आ गया

बहुत-२ बधाई आपको ऐसे ही लिखते रहें

Comment by Sarita Sinha on May 8, 2012 at 8:03pm

इमरान खान जी, नमस्कार, 

आप की सुन्दर सी छायावादी कविता पढ़ के मुझे एक बहुत पुराना गीत याद आ गया.....
हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला यह गगन 

के जिस पे बदलो की पालकी उड़ा रहा पवन दिशाए देखो रंग भरी , चमक रही उमंग भरी

यह किस ने फूल फूल पे किया सिंगार है 

यह कौन चित्रकार है ...बहुत सुन्दर प्रकृति चित्रण..

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