For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१   

नमस्कार साथियो !

चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-१७ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है |

इस प्रतियोगिता हेतु  इस बार कुछ ऐसा चित्र प्रस्तुत किया जा रहा है जिसका अंदाज़ पिछले सभी चित्रों से एकदम हटकर है, यह चित्र आदरणीय प्रधान सम्पादक श्री योगराज प्रभाकर जी द्वारा मेरे पास प्रेषित किया गया है;  अब आप सभी को इसका मर्म चित्रित करना है !

नफरत का उठता धुँआ, मुट्ठी में अंगार.

सीचें इसको प्यार से, शीतल हो संसार. 

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी, कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है जिसका विवरण निम्नलिखित है :-

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८  से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को "प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करें | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१७ , दिनांक १८ अगस्त  से २० अगस्त  की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

 

Views: 18468

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अत्यंत सुगढ़ छंद-रचना है आदरणीय अम्बरीषभाईजी.

इस पंक्ति ने देर तक बाँधे रखा.. जहाँ हुआ अन्याय जगत में, पर्वत सी होती राई.

मंच पर एक नये छंद में भाव साझा करने के लिये आपका सादर धन्यवाद.

आदरणीय मित्रों ! अति आवश्यक कार्यवश मुझे जाना पड़ रहा है ! संभवतः शाम तक वापसी होगी ! सादर

आदरणीय एडमिन/मंच संचालक महोदय,
अति व्यस्तता और अन्य  व्यवधानों के बीच  फंसा होने के कारण  समयाभाव  तो है, किन्तु  ओ बी ओ के इस मंच से लगाव के कारण  एक घनाक्षरी और  रचने  का मोह नहीं छोड़ पाया

आप सबके दरबार में रख रहा हूँ
सादर

* कवित्त

वेदना के वैधव्य को दूर करने के लिए
क्रोध यानी उसका सुहाग ले के आ गया


आंसुओं की धार पर, तेग़ घिसने के लिए,
करुणा के सागर से झाग ले के आ गया

चूहों और चुहियों से पाने को निज़ात आज
जंगल से ज़हरीला नाग ले के आ गया

मुल्क को बचाने हेतु, इंक़लाब की मशाल,
जलाने को एक मुट्ठी आग ले के आ गया

जय हिन्द !

-अलबेला खत्री

आदरणीय अलबेला खत्रीजी एक चिंगारी ही बहुत थी आपको तो पर मुल्क को बचाने और इन्कलाब की मशाल जलाने का जज्बा जो था, सो पूरी एक मुट्ठी आग ही लेकर आ गए | हार्दिक बधाई 


मुल्क को बचाने हेतु, इंक़लाब की मशाल, 

जलाने को एक मुट्ठी आग ले के आ गया ...ek-ek kar ye muththiya badhi to anzam kya hoga

                                                            kadam-kadam yu hi milte rahe to mukam kya hoga!!!!!!!!!

वाह अलबेला जी

मुल्क को बचाने हेतु, इंक़लाब की मशाल,

जलाने को एक मुट्ठी आग ले के आ गया

नया अंदाज पेश किया है बहुत ही लाजवाब है

हार्दिक बधाई

धन्यवाद उमाशंकर जी.......

वीर रस हास्य रस करुण रस  सबके जोड़ से बनाई सुन्दर सार्थक घनाक्षरी अलबेला जी कमाल 

मुल्क को बचाने हेतु, इंक़लाब की मशाल, 

जलाने को एक मुट्ठी आग ले के आ गया ,अति सुंदर ,अलबेला जी ,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ,जय हिंद 

आदरणीय रेखा जी.............धन्यवाद

बहुत खूब अलबेला जी, शानदार कवित्त के लिए बधाई स्वीकारें। तीसरी पंक्ति का अर्थ बाकी पंक्तियों से मेल नहीं खा रहा है (जहरीला नाग चूहों को खाने के बाद आपको भी डसेगा)। बाकी तो कवित्त शानदार बना है। देखिए क्या आखिरी पंक्ति को इस तरह किया जा सकता है "इंकलाब की मशाल को जलाने मजलूम, चूल्हे में से एक मुट्ठी आग ले के आ गया"।

मैं इस तरह का परिवर्तन करने का सुझाव बहुत कम देता हूँ जिससे मूल भाव परिवर्तित हो जाय। पर आपका ये कवित्त इतना शानदार बना है कि मुझे अपना लग रहा है। :))))))))))))))))))))))))))))

भाईजीश्री  धर्मेन्द्र  कुमार सिंह  जी ,
जय हो आपकी.........
हमारे राजस्थान में एक कहावत है कि  " जल्दी जल्दी करने वाला आदमी  हर काम दो बार करता है " वही हो रहा है......पोस्ट करने के बाद तो मुझे भी लगा कि  जल्दी कर दी  वरना  सुधार की बहुत गुंजायश थी . अस्तु -

आप सही कह रहे हैं  अंतिम पंक्ति में ये सुधार अच्छा रहेगा ..........लेकिन  जहाँ तक तीसरी पंक्ति की  बात है .  नाग तो लाना ही पड़ेगा भाईजी, क्योंकि चूहों  ने बड़ा आतंक मचा रखा है ..........हा हा हा

आपने बांचा और सराहा.......मुझे आनंद आया जी..........मैं ज़रूर इसमें सुधार करूँगा ......
सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
14 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
19 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
48 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
51 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
56 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज अहसास जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मतला अब भी प्रभावित नहीं कर रहा। बला के इलावा किसी और एंगल से सोचें।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service