For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नमस्कार साथियो !

चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-१९ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है |

इस प्रतियोगिता हेतु इस बार भी कुछ विशिष्ट अंदाज़ का चित्र प्रस्तुत किया जा रहा है यह चित्र आदरणीय प्रधान सम्पादक श्री योगराज प्रभाकर जी द्वारा मेरे पास प्रेषित किया गया है,  अब आप सभी को इसका काव्यात्मक मर्म चित्रित करना है !

 

चाहूँ  शीतल छाँव जल  , तपते पर अंगार.

मृग मरीचिका जिंदगी,  रहे भ्रमित संसार.

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी, कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है जिसका विवरण निम्नलिखित है :-

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८  से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को "प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करें | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१९ , दिनांक १८ अक्टूबर से २० अक्टूबर की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट अर्थात प्रति दिन एक पोस्ट दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 17190

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

धन्यवाद आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी ! सादर

थे ठगे से रह गए हम, खो गयी थी शक्ति
कामना ही है फँसाती, ज्ञान से ही मुक्ति.

वाह! आदरणीय अम्बर भैया... बहुत ही सुन्दर रूपमाला... पढ़कर आनंद आ गया...

सादर बधाई स्वीकारें.

स्वागत है प्रिय अनुज संजय जी ! हार्दिक आभार मित्र !

बेहद प्रवाहमय, बिल्कुल एक कहानी चित्रित करते हुए, खूबसूरत रूपमाला छंद. आदरणीय अम्बरीश जी, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें 

डॉ० प्राची जी, रूपमाला की सराहना के लिए हार्दिक आभार स्वीकारें !

थे ठगे से रह गए हम, खो गयी थी शक्ति
कामना ही है फँसाती, ज्ञान से ही मुक्ति.

वाह आदरणीय अम्बरीश जी वाह, पूरी रचना में शब्द संयोजन काफी उम्दा है, कथ्य और शैली बहुत ही सुन्दर, रचना बहुत ही रुचिकर लगी, बधाई स्वीकार करें |

छंद की  सराहना के लिए धन्यवाद आदरणीय बागी जी|

आपकी कल्पना शक्ति को नमन आदरणीय अम्बरीश श्रीवास्तव जी 

हार्दिक आबहार आदरणीय लक्ष्मण  जी

घनाक्षरी छंद

(१).
हिन्द की पावन भूमि , उत्तर में हरियाली, 
पश्चिम में रेत देखो , धरती मुस्कात हैं !

सर हैं हिमालय सा, सागर पखारे पाव ,
मरूभूमि वीरों वाली, यही खास बात हैं , 

देखिये रेतों के टीले, जल के लहर जैसी  
चाहत पानी के लिए, देखो भागे जात हैं ,

भारत की धरती ये , सबसे अलग दिखे ,
प्रभु की सौगात बड़ी, अपने ये साथ हैं !

देखिये  रेतों की टीलें, जल  की लहर  जैसी  
चाहत पानी के लिए, देखो भागे जात हैं ,


भारत की धरती ये , सबसे अलग दिखे ,
प्रभु की सौगात बड़ी, अपने  ये साथ हैं !
 वाह! बहुत सुन्दर घनाक्षरी आ. रवि कुमार गिरी जी बधाई स्वीकारें.

भाई रविजी, भावनात्मक और मानसिक संयम बना रहे तो पद्य का अनुशासन साधा जा सकता है. आपकी इस कोशिश के लिये हृदय से बधाई.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी…"
7 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया गया है. सभी देवताओं को किसी ने व्यभिचारी नहीं कहा…"
9 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह! ख़ूब ! ख़ूब! बहुत ख़ूब! शानदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। गिरह सहित सभी शेर असरदार…"
11 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. दयाराम जी,बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..इस्लाह जैसा कुछ भी नहीं है किन्तु दो चार बारीक बातें प्रस्तुत…"
16 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी.मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा होता नहीं. वो अपनी अपनी बारी…"
22 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों…"
24 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"निडर होने का मतलब वृहत समुदाय की भावनाओं को आहत करना तो नहीं ही हो सकता है। आप के इस शेर से मुझे…"
29 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, एक अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे को शुरुआत दी आपने। लगभग सभी शेर अच्छी कहन में हैं,…"
35 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
46 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
58 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ऋचा जी। आदरणीय शिजजु जी और नीलेश भाई ने जो बिन्दु दिए हैं वो…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service