परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के ३० वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है|इस बार का तरही मिसरा मुशायरों के मशहूर शायर जनाब अज्म शाकिरी साहब की एक बहुत ही ख़ूबसूरत गज़ल से लिया गया है| तो लीजिए पेश है मिसरा-ए-तरह .....
"रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है "
२१२२ ११२२ ११२२ २२
फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन
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मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
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bahut bahut shukriyah pandey ji
मेरी तस्वीर वो सीने से लगाकर हसरत,
मेरे जीने की दुआ शामो सहर करती है........अहा बहुत खूब
आदरणीय हसरत साहब बहुत ही बढ़िया गजल वाह!
dhanyawad ashok ji
नींद उसको भी नहीं आती मेरी फ़ुर्क़त में,
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है |शानदार
इस ज़माने का उसे डर तो बहुत हे लेकिन,
मुझको पाने का वो अरमान मगर करती है |शानदार
दूर तुझसे मैं चला जाऊं कहीं भी लेकिन,
ये तेरी याद मेरी साथ सफ़र करती है |शानदार"HASRAT"
bahut bahut shukriyah avinash sir
मेरी तस्वीर वो सीने से लगाकर हसरत,
मेरे जीने की दुआ शामो सहर करती है |
क्या बात है..अच्छे शेर कहे हैं हसरत साहब...दाद कबूलिये|
dhanyawad rana ji
हसरत भाई ,, अह्हाह ! क्या ही अंदाज़ है मतले का ..! वाह वाह !
गिरह का शेर भी रवायती अंदाज़ में बढिया हुआ है. लेकिन हुज़ूर मक्ते ने दिल जीत लिया. .. दिल से बधाई.
एडमिन जी मुझे याद हैं ......इस मुशायरे की सबसे अच्छी गज़ल को मुझे "माह की सर्वश्रेष्ठ रचना" के लिए नामित करना है....शीघ्र ही आपको सूचित करता हूँ |
सबको एक दफ़े फिर से याद करा दिया !! .. :-))))
एक् शानदार मुशायरे की सफलता के लिए सभी सहभागियों का ह्रदय से आभार तथा आदरणीय संचालक महोदय राना प्रताप सिंह को सहस्त्र बधाइयाँ ..अगला मुकाबला आज रात 12 बजे के बाद सन 13 में होगा ..सो सभी को आनेवाले वर्ष की शुभकामनाएं
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