For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-37(Now closed with 1027 replies)

परम आत्मीय स्वजन,

.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 37 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. इस बार का तरही मिसरा मशहूर शायर जनाब अज्म शाकिरी की बहुत ही मकबूल गज़ल से लिया गया है. पेश है मिसरा-ए-तरह...

"तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ "

ते1री2 या2 दों2 / से1 दिल2 बह2 ला2 / र1 हा2 हूँ2 

1222              1222               122

 मुफाईलुन  मुफाईलुन  फ़ऊलुन

(बह्र: बहरे हज़ज़ मुसद्दस महजूफ)

* जहां लाल रंग है तकतीई के समय वहां मात्रा गिराई गई है 
रदीफ़ :- रहा हूँ
काफिया :-  आ (सच्चा, पाया, उलटा, फीका, मीठा आदि)
.

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 जुलाई दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 29 जुलाई दिन सोमवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी

.

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है:

 .

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो   27  जुलाई दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 19932

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जुदाई की घडी में आज कल मैं,

तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ..   बहुत खूब  लिखा है | दाद कबूले 

खूबसूरत गज़ल पर दाद क़ुबूल करें प्रिय अरुण जी 

अकेला रात की बाँहों में छुपकर,

निगाहों की नमी छलका रहा हूँ,............बहुत खूब !

जुदाई की घडी में आज कल मैं,

तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ......गिरह भी सीधी सादी पर सुन्दर 

बहुत खूब अरुन जी। दाद कुबूलें

वाह भाई . बधाई हो..

शुभ शुभ

ओबीओ लाइव तरही मुशायरा,अंक-37 में
मेरी दूसरी पेशकश..........

कमाई का फकत  जरिया रहा हूँ
तेरी खातिर  बचत खाता रहा हूँ ||


पिलाता ही रहा मैं जाम बन कर
कसम तोड़ी नहीं  प्यासा रहा हूँ ||


बनाये जब मकां  तो काट डाला
यहाँ तुलसी का मैं बिरवा रहा हूँ ||


न बाहर घर के कोई बात आई
कभी  गूंगा  कभी परदा रहा हूँ ||


चला भी आ कभी गुजरे जमाने
तेरी यादों से दिल  बहला रहा हूँ ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट,विजय नगर,जबलपुर (मध्यप्रदेश)

क्या कहने वाह वाह। … 

बनाये जब मकां  तो काट डाला
यहाँ तुलसी का मैं बिरवा रहा हूँ ||

इस अन्तर्निहित भाव को नमन है अरुण जी बेहतरीन आफरीन !!

पिलाता ही रहा मैं जाम बन कर 
कसम तोड़ी नहीं  प्यासा रहा हूँ ||...........बेहतरीन शेअर ,वाह बहुत खूब ...

बेमिसाल  गजल प्रस्तुति पर , तहे दिल से  दाद कुबूल कीजिये ...आदरणीय  अरुण निगम  जी 

 

धन्य हो धन्य हो आदरणीय अरुण निगम जी
अथ से ले कर इति तक अभिनव ही अभिनव

कमाई का फकत  जरिया रहा हूँ
तेरी खातिर  बचत खाता रहा हूँ ||


पिलाता ही रहा मैं जाम बन कर
कसम तोड़ी नहीं  प्यासा रहा हूँ ||


बनाये जब मकां  तो काट डाला
यहाँ तुलसी का मैं बिरवा रहा हूँ ||


न बाहर घर के कोई बात आई
कभी  गूंगा  कभी परदा रहा हूँ ||


चला भी आ कभी गुजरे जमाने
तेरी यादों से दिल  बहला रहा हूँ ||

_________-हाय हाय हाय हाय ........ मार ही डाला 

____________बधाइयाँ खूब सारी

वाह वाह वाह कमाल कमाल कमाल आदरणीय गुरुदेव श्री नमस्कार,क्या कहूँ कुछ कहते नहीं बन रहा है, दिल को छू लिया आपने ऐसी सुन्दर ग़ज़ल कह कर. ह्रदय से अनन्त बधाई स्वीकारें.

कमाई का फकत  जरिया रहा हूँ
तेरी खातिर  बचत खाता रहा हूँ ||वाह वाह क्या कहने


पिलाता ही रहा मैं जाम बन कर 
कसम तोड़ी नहीं प्यासा रहा हूँ ||उम्दा कथन 


बनाये जब मकां  तो काट डाला
यहाँ तुलसी का मैं बिरवा रहा हूँ ||मार्मिक चित्रण 


न बाहर घर के कोई बात आई
कभी  गूंगा  कभी परदा रहा हूँ ||////// वाह वाह ज़ोरदार 


चला भी आ कभी गुजरे जमाने
तेरी यादों से दिल  बहला रहा हूँ ||सुन्दर 

वाह आदरणीय  अरुण निगम जी  बहुत ज़ोरदार ग़ज़ल कही है आपने//हार्दिक बधाई आपको 

aआदरणीय गुरुदेव अरुण जी 

लाजवाब क्या बात 

दाद कबूल कीजिए 

न बाहर घर के कोई बात आई
कभी  गूंगा  कभी परदा रहा हूँ ||बहुत उम्दा...दिल को छूते हुए एहसासों से सजी हुयी अभिव्यक्ति दी है आपने   मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"उचित है आदरणीय गिरिराज....जी मतले में सुधार के साथ दो शेर और शामिल कर हूँ....सभी अग्रजों…"
24 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. भाई सुशील जी सादर अभिवादन। दोहों के लिए हार्दिक बधाई।  भाई योगराज जी के कथन को अन्यथा न ले…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। आपके सुझाव से मूल दोहे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।  इंगित दोहे में…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"प्रिय गिरिराज  हार्दिक बधाई  इस प्रस्तुति के लिए|| सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है सड़ा है…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"हार्दिक बधाई लक्ष्मण भाई इस प्रस्तुति के लिए|| सदा प्रगति शान्ति का       …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , विषय के अनुरूप बढ़िया दोहे रचे हैं , बधाई आपको मात्रिकता सही होने के बाद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ग़ज़ल  *****  इशारा भी  किसी को कारगर है  किसी से गुफ्तगू भी  बे असर…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service