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बड़ी कुशलता से बड़ी बात कह दी आदरणीया पूनम डोगरा जी, अच्छी लघुकथा हुई है. बधाई.
हार्दिक धन्यवाद Ganesh जी
आदरणीया पूनम जी.
शिक्षा के क्षेत्र में आ रही गिरावट को आपने सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है. ऎसा भी नहीं है कि इस तरह् कि किश्ते केवल शिक्षा में हों हर उस क्षेत्र में हैं जहां पर किसी के अधीन हो कर किसी को पहचान बनानी है. और उस पहचान के लिये जाने अन्जाने, चाहे अनचाहे इस तरह कि किश्तें चलतीं रहती हैं.
सादर.
हम स्वयं जानते हैं की हम इस पदोन्नति के हक़दार हैं या नहीं ! हमारी पहचान लोगों से छिप सकती है, खुद से नहीं.. हार्दिक धन्यवाद Shubhranshu Pandey जी .
आ० पूनम जी आपको सहानुभूति कथा के लिए मिल रही है कि डाक्टर बनने के लिए छात्रा का शोषण हुआ i इसका एक अर्थ यह भी की न्महत्वकंक्शी लड़की ने ज्ञान के बल पर नहीं अपितु अपने शरीर के बल पर डाक्टरेट हासिल की क्योंकि वह स्पर्श अंतिम इसीलिये था, काम निकल चुका था. मैं तो यही कहूँगा अब नारी लेखन काफी बोल्ड हो गया है .प्रायशः नारी की नजर में पुरुष मनुष्य नहीं अपितु लम्पट होता है तो ठीक है नारियां अपने शरीर का दोहन कराये, शीर्ष पर चढ़े . ऐसे सम्बन्ध एक समझौते की तरह होते है , यह भी एक सौदा है , सौदे में दोनो बराबर के भागीदार होते हैं . इसमें उत्पीडन कहाँ है . फिर नारी विमर्श किसलिए ? सादर .
आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपकी स्पष्टता से हम अभिभूत हैं. शिक्षा के क्षेत्र से इस तरह की उच्च डिग्रियों के क्रम में कई बार ऐसा कुछ सुनने को मिलता रहा है. लेकिन सच्चाई की एक टेक कहीं और भी हुआ करती है. लघुकथा के माध्यम से ऐसी चर्चा इस मंच की थाती है.
सादर
आपने बिलकुल सही नब्ज़ पकड़ी I यह एक समझौता ही तो है ! हम स्वयं जानते हैं की हम इस पदोन्नति के हक़दार हैं या नहीं ! हमारी पहचान लोगों से छिप सकती है, खुद से नहीं ! जब लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे, उसे आत्मग्लानि हो रही थी, तभी वह मंच से भाग जाना चाहती थी.. कथा को समय देने के लिए बहुत बहुत आभार डॉ गोपाल नारायण जी. धन्यवाद .
शिक्षा के क्षेत्र में व्याप गयी सड़ांध और गन्दे व्यवहार की ओर इस लघुकथा के माध्यम से कितनी जिम्मेदारी भरा इशारा किया गया है ! वाह !
कथानक के विन्यास पर चर्चा होनी चाहिये, हुई भी है. लेकिन शैली की दृष्टि से ’मैं-कार’ को अपनाना लेखिका के बड़े साहस का परिचय देता है. मैं इस प्रयास की सत्विकता को नमन करता हूँ.
हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ
कथा को समय देने के लिए आभार Saurabh Pandey जी. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .
मनोविज्ञान से भरी सुंदर कथा।
आभार Pankaj Joshi जी .
आदरणीया पूनम जी
शोध के मायाजाल के सत्य को उजागर करती बढ़िया लघुकथा
लघुकथा की कसावट जितना प्रभावित करती है उतना ही अंत एक झटके से गहराई तक सोचने को विवश करता है
इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई
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