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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
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जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रिय कांता रॉय जी 

सस्नेह 

बहुत बहुत आभार आपको आदरणीया प्राची जी ।

 जन्म दिवस के  हार्दिक  बधाई  एवं  शुभ कामनाएं आदरणीया  कांता रॉय जी , प्रभु आपको स्वस्थ,सुखी और दीर्घायु जीवन प्रदान कर प्रगति पथ पर अगसर करे -

जन्म दिवस पर आपको, मिले खूब आशीष

जीवन में उत्कर्ष हो, भली करे जगदीश  |

सादर

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया कांता रॉय जी!

आदरणीया कान्ता रॉय जी और नीता कसार जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें..

तहे दिल से आभार आपको आदरणीय विनय सर जी ।

आदरणीया कांता रॉय जीजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ....

आप ही का दिन है  आज   आप ही   की बात है 
आप   ही की   साँझ   और   आप   का प्रभात है 
आज मुबारक आपको हो जनम दिन ये आपका 
हर पल जीवन में आपके खुशियों की बरसात हो

सुशील सरना

सुंदर कविताओं में सुंदर संदेश .... हृदयतल से आभार आपको आदरणीय सुशील सरना जी ।

आज हास्य कवि स्वर्गीय अलबेला खत्री जी का जन्म दिवस है. आप ने राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रसिद्धि पाई है. कई टीवी चैनलों जैसे स्टार टीवी, सब टीवी, सोनी, जी टीवी, सहारा वन आदि हास्य कविताओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है. आप ओबीओ के सक्रीय सदस्य रहे और ओबीओ के लाइव आयोजनों में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कर आयोजनों का मान बढ़ाया है. 8 अप्रैल 2014 को स्वास्थ्य खराब होने के कारण आपका आकस्मिक देहावसान हुआ जो साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति है. ओबीओ परिवार आपको याद करते हुए नमन करता है.

उस निराले व्यक्ति को याद कर आज मन भर आया है. बहुत कुछ आपस में साझा हुआ था, जो अभी चलचित्र की तरह मन में घूम रहा है. आज अलबेलाजी के जन्मदिवस पर हार्दिक श्रद्धांजलि

अलबेला जी के समय मंच साझा नहीं कर पाया लेकिन ओबीओ के लाइव आयोजनों के पुराने अंकों से गुजरते हुए, इस संवेदना को मेरा मन महसूस करता रहा है. यही कारण है कि स्वयं के मंच पर विलम्ब से आने का मुझे हमेशा खेद रहा है.

//स्वयं के मंच पर विलम्ब से आने का मुझे हमेशा खेद रहा है. //

एहि आस अटक्यो रहे, अलि गुलाब के मूल,
अइहैं पुनि बसन्त रितू, इन डारिन वे फूल .. .

बस कदम सार्थक ढंग से बढ़ते रहें .. 

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