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मुझे शतरंज की मोहरे बनकर जीना स्वीकार नहीं ---वाह आपकी यही पंक्ति लघु कथा को विशिष्टता प्रदान कर रही है आत्माभिमान भी कुछ होता है जो सबके पास नहीं होता नायिका का उठाया कदम सराहनीय है तथा अच्छा प्रभाव छोड़ रहा है |हार्दिक बधाई आपको .कल्पना जी .
आदरणीया कल्पनाजी, आपकीकिसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. आप इस मंच पर बनी रहें. सादर शुभकामनाएँ
गोटी
.
"इस बार भी लक्ष्य से ज्यादा बीमा पॉलिसी बेचकर सुरेश ने तो कमाल कर दिया "
"पता नहीं कौन सी गोटियां फिट करता है । कहाँ -कहाँ से ग्राहक पकड़ता है । और हर बार बाज़ी मार ले जाता हैं।"
"और तो और दनादन क्लेम भी हो रहे है ।हैरत है !!यहाँ तो थूक सूख जाता है ,जूते घिस जाते है, तब कहीं बामुश्किल एक-दो ग्राहकों को मना पाते है । "
सुरेश पिछले कई महीनों से अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बूते पर अपने सहकर्मियों के बीच चर्चा विषय बन चुका था।
"ये सुरेश शर्मा यहीं काम करते है?"
"जी.."
"अभी कहाँ मिलेगें?"
"जी.. वो सामने वाला कक्ष उन्हीं का है । "
"धन्यवाद "
"सुरेश शर्मा!क्रांइम ब्रांच मुंम्बई..! आपको अपने ग्राहकों की सुपारी देने और उनका नॉमिनी बन बीमा का पैसा हड़पने के जुर्म में गिरफ्तार किया जाता है ।"
मौलिक एवं अप्रकाशित
सच में धोखाधड़ी का खेल अधिक नहीं चल सकता, एक न एक दिन सत्य उजागर होता है| सुंदर संदेशपरक रचना हेतु बधाई स्वीकार करें आदरणीया राहिला जी|
आदरणीया राहिला जी बढ़िया लघु कथा
आदरणीय राहिला जी आप ने शानदार व जानदार बात कही है. आप की लघुकथा सार्थक, सटीक व अच्छी बनी है. बधाई इस लघुकथा के लिए. मगर एक प्रश्न मन में उठ रहा था इसलिए अपने को रोक नहीं पाया. क्या वास्तविकता में ऐसा भी होता है. ? सादर .
आदरणीया राहिला जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. नए कथानक को पढ़कर अच्छा लगा. आपको इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई
अच्छा प्रयास है आ० राहिला जी, किन्तु अंत कुछ ज्यादा ही नाटकीय हो गया. मुझे तो यह क्राइम पेट्रोल का कोई एपिसोड ही लगा. लघुकथा में जो कहा जाता है, वह तो महत्वपूर्ण होता ही है किन्तु उससे भी महत्वपूर्ण होता - वह जो नहीं कहा गया हो. लघुकथा में बात यदि इशारों के माध्यम से की जाये तो उसका प्रभाव बहुगुणित हो जाता है. आप प्रयासरत एवं अभ्यासरत रहें और इस प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
ओह्ह्ह !खतरनाक चाल| बधाई आदरणीया राहिला जी |
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