आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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सम सामयिक घटनायों की पृष्ठभूमि में प्रदत्त विषय पर सार्थक लघुकथा कही है आ० मनन कुमार सिंह जीI हार्दिक बधाई स्वीकारेंI
//-दादाजी, कहते तो आप बिलकुल सही हैं।हमलोगों ने विरोध किया भी था, पर संगठन का एक धरा उधर हो गया।
//-कौन? एक धरा?//
शायद यहाँ "धड़ा" होना चाहिए था
हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी!विषय आपने अच्छा और सम सामयिक चुना है मगर लघुकथा की लंबाई कुछ ज्यादा हो गयी!सुंदर प्रस्तुति!
हाल में देश में हुई घटनाओं का प्रतीक लिए अच्छी कथा , आकार थोडा छोटा हो सकता था , बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय मनन जी
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी लघु कथा के प्रयास के लिये बधाई
जनाब मनन कुमार साहिब ,प्रदत्य विषय को परिभाषित करती अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीय मनन जी, आज की परिस्थितियों पर एक सुन्दर कथा. सादर.
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