आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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हार्दिक आभार आपका Dr विजय शंकर जी | सादर
आक्रोश कभी कभी घातक होता है यहाँ एक भाई का जीवन उसी कारण बर्बाद हो गया |
अच्छी लघु कथा हार्दिक बधाई आपको आद० लक्ष्मण लडिवाला जी |
लघुकथा पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीया राजेश कुमारी जी
अग्रज लडीवाला जी, दो सवाल:
१. इसमें आक्रोश वाली इस कथा में क्या बात है? वक्ती क्रोध को आक्रोश कैसे कहा जा सकता है?
२. ना-ईलाज शब्द सही नहीं है, मेरी समझ में "लाइलाज" सही शब्द हैI
जी आदरणीय योगराज भाई जी, कहानी लिखने से पहले मन में ये विचार थे, शायद लिखने में कमी रह गई -
माँ के न होने और बड़े बेटे की पत्नी के क्रूर व्यवहार से सदमे के कारण उसका दिमाग मन्द-बुद्धि सा हो गया | घर में एक दिन कलह होने पर मेरा आक्रोश फूट पडा और गुस्से में मैंने बड़े बेटे को कह दिया – “देख तेरे कारण सोनू का जीवन खराब हो गया |”
ना-ईलाज की जगह शुद्ध शब्द - लाइलाज ही होगा | सादर आभार आपका आदरणीय
आक्रोश में कहे शब्द कभी किसी पर मानसिक रूप से कितने घातक हो सकते हैं ,ये दर्शाती कथा के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडिवाला जी ..सादर
हार्दिक आभार आपका आ. प्रतिभा पाण्डे जी } सादर
रचना पर आपकी उत्साहवर्धन प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब | सादर
आदरणीय लक्षमण रामानुज लडीवाला जी ,आज आपकी इस लघुकथा ने संतुष्ट नहीं किया है बिलकुल भी . लघुकथा दरअसल एक छोटी सी बात को जो सामान्य जीवन के विसंगतिपूर्ण वातावरण में निर्मित होती है को उभार कर कहने की विधा है .इसमें कथा को कथ्य यानि की सन्देश के आस -पास ही ऐसे बुनी जानी है ताकि पाठक पर बातो का प्रभाव पड़े . पाठक चिंतित हो उठे एकदम से . आप प्रयासरत रहे . शुभकामनाएं आपको
मोहतरम जनाब लछमन लडीवाला साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ---
आद० लक्ष्मण लडिवाला जी | आक्रोश को संदर्भित करती अच्छी लघु कथा हार्दिक बधाई आपको
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