आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आ.सुधीर जी अपने पति द्वारा की गई ग़लतियों का माधवी का इस तरह से प्रायश्चित करना अच्छा लगा,बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर . बधाई आदरणीय सुधीर जी .
हार्दिक बधाई आदरणीय सुधीर द्विवेदी जी! प्रदत्त शीर्षक को पूर्ण रूप से दर्शाती रचना!
विषयानुसार बहुत अच्छी रचना कही है आदरणीय भाई सुधीर जी| आपकी लघुकथा ने वाल्मीकि की याद दिला दी, जिनकी पत्नी ने उनके पाप में हिस्सेदारी से मना कर दिया था, इससे वाल्मीकि रामायण जैसे महाकाव्य के रचियता तो बन गये, लेकिन उनका परिवार छूट गया| और यहाँ आपकी रचना में पत्नी ने पाप में हिस्सेदारी मान कर परिवार को एक करने का कार्य किया| इस रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
मोहतरम जनाब सुधीर साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सूंदर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
इस उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुधीर जी, सादर!
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