आदरणीय साथिओ,
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इस लघुकथा की जितनी तारीफ की जाए कम हैI जिस तरह की लघुकथा की उम्मीद आपसे थी, यह वैसी ही हैI इसे पढ़कर मन प्रसन्न है भाई डॉ चेंद्रेश कुमार छतलानी जी, शाबाश!
आदरणीय सर, आपकी शाबाशी मिली, मुझे सबसे बड़ा पुरुस्कार मिलाI सादर आभार सरI
आदरणीय चंद्रेश कुमार जी सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकार करें
इन विरोधों से शायद देशी उद्योग का कुछ भला हो, अच्छी सामयिक प्रस्तुति विषय पर| बधाई आपको
क्या कहने हैं भाई विनोद खनगवाल जी, वाह वाह वाहI बेहद प्रभावशाली लघुकथा रची है, ढेरों ढेर बधाई प्रस्तुत हैI
समसामयिक हालातों को केन्द्रित कर सुन्दर कथा ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय विनोद जी
आदरणीय विनोद खनगवाल जी इस सुन्दर लघुकथा हेतु दिल से बधाई आदरणीय
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