आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीया सीमा सिंह जी, लघुकथा पंच लाइन के कारण एक बहुत शानदार लघुकथा बनते बनते रह गई है। पति ऐसा क्यों कर रहा था? सवेंदनाएं थोड़ी और उभर कर आनी चाहिए
वाह वाह, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है सीमा सिंह जीI कथ्य पूरी तरह उभर कर सामने आया हैI कथा पढ़ते हुए जैसे सबकुछ आँखों के सामने घटता हुआ प्रतीत हुआI 2013 में जब मैं बीमार पड़ा था तो ऐसे कुछेक अनुभवों से मुझे भी गुजरना पड़ा था, इसी लिए यह लघुकथा मुझे बहुत पसंद आईI मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
पत्नी को खिचड़ी खाते हुए देख मन ही मन बुदबुदाते हुए पति के चेहरे पर संतोष पसर आया था। --इस पंक्ति ने इस लघु कथा को बहुत ऊँचाई पर खड़ा कर दिया बीमार पति को पत्नी की और पत्नी को पति की परवाह , का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है |बहुत बहुत बधाई आपको आद० सीमा सिंह जी |
बहुत भावपूर्ण और प्रभावी रचना लिखी है आपने विषय पर, बहुत बहुत बधाई आपको
अपनी तीमारदारी में लगी पत्नी की खुद के प्रति लापरवाही पति को समझ आई ..वाह ... और अंतिम पंक्ति //गुस्सा अक्सर लोगों को दिख जाया करता है।// पति के गुस्से के पीछे छिपा रूप ...बहुत बढ़िया ,....आपको हार्दिक बधाई इस शानदार प्रस्तुति के लिए आदरणीया सीमा जी
आहां--- दोनों को एक दूसरे की चिंता ------ बढ़िया कथा . "गुस्सा अक्सर लोगों को दिख जाया करता है इसे यदि ऐसा कहें - बनाव्टी गुस्से से भी कभी कभी काम बन जाते हैं /सादर .
मुहतरमा सीमा साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ----
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |