आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय योगराज सर, आपकी सहमती पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. हार्दिक आभार आपका. सादर
जनाब विजय जोशी साहिब, प्रदत्त विषय को परिभाषित करती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं -
आ० दोयम दर्जा का क्या मायने है . अच्छा विषय कथानक की कसावट से निखरता है . आशा है आप इस बात पर ध्यान देंगे .
लक्ज़री फेसिलिटी की चकाचोंध में रागिनी ने भारती को काफी पीछे छोड़ दिया था।
आज शहर में नोट बंदी के साथ वृहद पैमाने पर सर्चिंग चल रही थी।
उक्त दोनों पंक्तियों के बीच कालखंड का अवरोध दिखता है . सादर .
अच्छी कथा हुई है | हार्दिक बधाई |
आदरणीय विजय जाेशी जी, सर्वप्रथम गोष्ठी का श्रीगणेश करने हेतु आपको शुभकामनाएं। भाषा के सबंध में गुणीजन बात कर ही चुके हैं। मैं लघुकथा की शुरूआती तीन चार पंक्ितयों के बारे बात करना चाहता हूं। इन पंक्ितयों में वार्तालाप थोड़ी कन्फ्यूज़न पैदा कर रहा है कि कौन, किससे, क्या कह रहा है। स्वर्ण की चमक, अाभामंडल सरीखे शब्द लघुकथा की सहजता में रूकावट पैदा कर रहे हैं। /दोन नंबरी दर्जे के सारे काम उसी के नाम से जारी थे/ ये शब्द अँधेरी राहों के मुसाफ़िर विषय को पूर्णरूपेण सार्थक कर रहे है। लघुकथा में तनिक संपादन की आवश्यकता महसूस हो रही है। सादर
कथा प्रदत्त विषय के अनुरूप है ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय विजय जी
आयोजन का फीता काटने हेतु बधाइयाँ प्रेषित हैं... हालाँकि आपकी यह रचना ना तो लघुकथा है और ना ही कहानी... एक अधूरी लिखी हुई कहानी जैसी है, इस पर और काम करें... आपको इस रचना के सुधार पर बेशुमार सलाहें मिली हैं... लाभ लें
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