आदरणीय साथिओ,
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नीता जी , यह सामान्य तथाकथित नैतिकता है कि हमे बहू चाहिए , दहेज़ नहीं या कमाऊ लडकी नहीं . इसमें कथा तत्व क्या है कोई नाटकीयता नहीं कोई रहस्य नहीं कोइ पञ्च नहीं कोइ सरप्राइज एलीमेट नहीं . आप इतनी अच्छी कथाये दे चुकी है इसलिए कह रहा हूँ . सादर .
आ बहुत बहुत बधाई। बहुत सहजता और सरलता से आपने अपनी बात कह दी।
वैसे तो दोनों लघुकथा अच्छी और संदेशप्रद है आ. नीता जी, किन्तु दूसरी लघुकथा "मुफ्तखोरी" में नया विषय है और देश प्रेम के भाव निहित है जो बहुत सुंदर लगी | हार्दिक बधाई स्वीकारे
हार्दिक बधाई आदरणीय नीता कसार जी।दोनों ही लघुकथायें बहुत सराहनीय और संदेश परक लिखी गयी हैं।
दो संदेशप्रद रचनाओं के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीया नीता कसार जी| दोनों रचनाओं के शीर्षक भी प्रभावशाली हैं| मेरे अनुसार दूसरी रचना अंत में थोड़ी सी कसावट मांग रही है| सादर,
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