आदरणीय साथिओ,
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मुझे हैरत होती है जब कथाये प्रदत्त विषय से न्याय नहीं करती . फिर विषय देने से फायदा ही क्या ? आ० आपकी कथा अवश्य अच्छी है . किन्तु परख तब होती है जब टारगेट हो , सादर
कथा पर उपस्थित होकर मार्ग दर्शन करने के लिए हार्दिक आभार आदरनीय...... सादर
वाह आदरणीया प्रतिभा दी कथा बहुत सुंदर हुई है थोड़ी बड़ी है पर | सादर| हार्दिक बधाई आपको इस बेहतरीन कथा के लिए |
हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पांडे जी। लाज़वाब लघुकथा ।
हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीया रश्मि जी
प्रदत्त विषय से पूर्णरूपेण न्याय करती इस लघुकथा की सरलता इसकी सबसे बड़ी विशिष्टता है। लघुकथा कैसे कही जाए ये आपकी लघुकथाएं पढ़कर आसानी से सीखा जा सकता है। कसावट के नाम पर कांट-छांट करके लघुकथा को सपाट करने का मैं पक्ष्धर नहीं हूं। लघुकथा में अस्पष्टता का कोई स्थान नहीं होता इसलिए यदि कथानक की मांग पर दो चार पंक्तियां अधिक भी लिखनी पड़ जाएं तो उससे गुरेज नहीं करना चाहिए। प्रस्तुत लघुकथा का शीर्षक बेहतर हो सकता था। सादर शुभकामनाएं आदरणीय प्रतिभा जी ।
कथा पर उपस्थित हो उत्साहवर्धक टिप्पणी करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी
बहुत ही अच्छी लघुकथा कही है आ० मनन कुमार सिंह जी.
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