आदरणीय साथिओ,
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बढ़िया सबक ...हार्दिक बधाई नीता जी
"सबक"
विभा रानी श्रीवास्तव
"उंह्ह्ह !" नाक पर झट रुमाल रखना पड़ा... गंध से मितली आने लगी मुझे। कुछ ही दिन हुआ था मुझे अपने पति संग उनके नौकरी पर आये हुए... आज पड़ोसन से परिचय बढ़ाने के लिए उनके घर आ गई... उनके बैठकखाने में अजीब-सी गंध फैली मिली। गप्प करने में मुझे परेशानी हो ही रही थी कि चाय-नाश्ता भी आ गया।
“मैं चाय नहीं पीती हूँ” नाक से रुमाल हटाने पर गंध गले तक चला गया।
"ठीक है! मुँह मीठा कीजिये पहली बार मेरे घर आई हैं।
"ये गंध कैसी फैली है ?"
"रूम फ्रेशनर "
"कुछ और भी"
"कोने में निगाह डालिए न " पड़ोसन बताते बताते खिलखिला पड़ी
कोने में छोटे तिपाये पर सुंदर-सी प्लेट में एक सुलगी सिगरेट रखी हुई थी
"ये ? ऐसे!"
"मुझे सिगरेट की गंध बेहद पसंद है! अपने पति महोदय को कहती हूँ जोर देकर कि पीजिये वे मेरी बात मानते ही नहीं तो मैं हमेशा सिगरेट सुलगाये रहती हूँ"
"आप जानती हैं कि सिगरेट कितना हानिकारक होता है ?
"पीना हानिकारक होता है न ?
"शायद मैं आपके घर दोबारा ना सकूँ!"
तभी उनकी गर्भवती ननद भाई के संग डॉक्टर से रिपोर्ट दिखला कर वापस आई... सबके चेहरे लटके हुए दिखे... सिगरेट की धुंए से ननद को प्रभावित बताया था डॉक्टर ने...”
मौलिक एवं अप्रकाशित
प्रदत्त विषय पर लघुकथा कहने का अच्छा प्रयास किया है आ० विभा रानी श्रीवास्तव जी जिस हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है. आपकी इस रचना में कुछ चीज़ें बेहद अखरीं:
1. पत्नी का पति को सिगरेट पीने के ज़ोर देकर कहना.
2. खुद सिगरेट सुलगाकर रखना.
यह दोनों बातें अस्वाभिक लगती हैं (कृपया अब यह मत कहियेगा कि यह सत्य कथा पर आधारित रचना है).
इसकी जगह पत्नी यह कह सकती थी कि मेरे पति पति सिगरेट पीते हुए "माचो" लगते हैं, या मुझे उनके सिगरेट पीने से कोई तकलीफ नहीं आदि तो बात कुछ नेचुरल भी लगती. वैसे सिगरेट से धुएँ से उस पत्नी को ही प्रभावित बताया जाता तो बात और जम जाती.
//गप्प करने में मुझे परेशानी हो ही रही थी//= बात करने/साँस लेने में मुझे परेशानी हो ही रही थी
//नाक से रुमाल हटाने पर गंध गले तक चला गया।// = नाक से रुमाल हटाने पर गंध गले तक चली गई।
//"आप जानती हैं कि सिगरेट कितना हानिकारक होता है ?//
//"पीना हानिकारक होता है न ?// ऊपर वाले संवाद के बाद इस संवाद का क्या औचित्य है?
बढ़िया सन्देश देती हुई आपकी यह कथा पसंद आई आदरणीया विभा दी | हार्दिक बधाई |
अच्छा सन्देश देती लघुकथा है आदरणीया विभा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदरणीय विभा रानी श्रीवास्तव दीदी जी आप का स्वागत है. बधाई आप को इस लघुकथा के लिए.
आदरनीया विभा रानी जी, सुंदर लघुकथा के प्रयास के लिए धन्यवाद
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