आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 84 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85
विषय - "बाल साहित्य"
आयोजन की अवधि- 10 नवम्बर 2017, दिन शुक्रवार से 11 नवम्बर 2017, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 नवम्बर 2017, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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आपका कथन काफी हद तक सही है कि भारतीय मानस में पहला ख्याल बेटे का ही आता है , पर सच ये भी है कि परिस्थितियाँ बदल रही हैं धीरे धीरे ही सही . इस रचना के सन्दर्भ में आपको आश्वस्त कर दूं कि मुन्ना / मुन्नी जैसी कोई बात नहीं है ,कविता की लहर में कही गई बातें हैं बस , आपको प्रयास मधुर लगा ,लेखन सफल हुआ हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी
वाह वाह, बहुत ही उत्तम बाल गीत रचा है आ० प्रतिभा पाण्डेय जी. दिल से बधाई प्रस्तुत है.
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
मुझे जगाती है मेरी माँ, जब सूरज नभ पर आता I
कैसे जगता सूरज मुन्नू, सोच सोच ये चकराता II
क्या सूरज की माँ भी घर में, सबसे पहले जगती है I
नभ की दुनिया मुन्नू को तो, एक पहेली लगती है II॥ आदरणीया प्रतिभा जी बहुत बधाई इस उत्तम बाल गीत के लिए ....
हार्दिक आभार आदरणीय नादिर खान जी
हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक जी
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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