For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 31 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32
विषय: "सुबह का भूला"
अवधि : 29-11-2017 से 30-11-2017 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12878

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय गोपाल नारायण जी इस अच्छी लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करे. 

आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,
बढ़िया लघुकथा । थोड़ा समय और माँग रही है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

बढ़िया लघुकथा है आ. डॉ. गोपाल नारायन सर. आ. योगराज सर की बात से मैं भी सहमत हूँ. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

बहुत मार्मिक लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० डॉ० गोपाल भाई जी  

प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय 

कान’

 

जेठ की बेटी की शादी संपन्न हो गई थी I विदाई की तैयारियाँ चल रहीं थीं I पर सीता सबसे अलग थलग अपने में खोयी थी I उसका पूरा ध्यान अपने पल्लू में बंधी उस छोटी सी चीज़ पर था I

   आज से लगभग दो महीने पहले सीता अपने दुखों का पिटारा लेकर एक स्वामी जी के पास गई थी I अपने ससुराल में खुश नहीं थी वो I सुबह शाम उसे ये सोच खाए जाती थी कि  ससुराल वाले उसके खिलाफ उसके पति के कान भरते रहते हैं I तब स्वामी जी ने उसे ये चमत्कारी चीज़ दी थी I कान की आकृति वाली इस छोटी सी चीज़ को कानों के पीछे चिपकाते ही दूर चलने वाला वार्तालाप या फुसफुसाहट सुनी जा सकती थी I  स्वामी जी ने सीता को ये हिदायात भी दी कि इस कान का पहला परिक्षण किसी पारिवारिक आयोजन के दौरान ही होI

   पति और जेठानी उसकी तरफ देखकर कुछ बातें कर रहे थे  I कान के उपयोग का सही समय जान, सीता ने पल्लू टटोला पर ‘कान’ वहाँ नहीं थाI वो घबराकर पल्लू झाड़ने लगी I

“भाभी! आप ये तो नहीं ढूँढ रहीं ? मुझे ये यहीं घास में पड़ा मिला है I” ननद  हाथ में ‘कान’ लिए खड़ी थीI

“ हाँ हाँ ये मेरे बुंदों के पीछे की कील हैI दिखने में अजीब है न?” अपनी घबराहट छिपाते हुए वो बोली I

“ मुझे पता है ये क्या है I ऐसा ही ‘कान’ मुझे भी स्वामी जी ने दिया था तीन साल पहले I” ननद मुस्कुरा  रही थी I

“क्या ! फिर ?’’ सीता अवाक थी I

“फिर क्या! बीमार कर दिया इसने मुझे I न ढंग से नींद आती न खाना पचता I हमेशा इसे चिपकाये बातें सुनती रहती और सबसे खिंची रहती I और फिर एक दिन ..”

“ क्या ..क्या किया ?’’ सीता बेसब्र हो रही थी I

“झोंक दिया मुए को आग में I अब बहुत खुश हूँ I’’ ननद के चेहरे पर गहरी राहत थी I

सीता कुछ और पूछती उसके पहले विदाई लेती भतीजी पास में आ गई I

“ बुआ जा रही हूँ I” रोती हुई वो ननद के गले लग गई I

“खुश रहना लाडो और देख बेकार की यहाँ वहाँ की बातों में कभी कान मत देना I” भतीजी का सर सहलाती हुई ननद ने भेद भरी मुस्कान सीता पर डाली I

“ चाची अपना ध्यान रखना I आप ढंग से खाती पीती नहीं हैं I” भतीजी सीता के गले लग कर सुबकने लगी I

“ खुश रहना बिटिया और हाँ, बुआ की कही बातों का ध्यान रखना I”  उसको प्यार से सहलाते हुए आज सीता बहुत हल्का महसूस कर रही थी I

“ तो भाभी क्या सोच रही हो ?”  भतीजी के आगे निकल जाने पर ननद ने सीता का हाथ अपने हाथ में ले लिया I

“ सोचना क्या है, अभी जाकर झोंकती हूँ इस मुए को आग में I”

पत्नी और बहन को साथ में खिलखिलाते हुए देख, दूर खड़ा सीता का पति भौंचक्का था I

 

मौलिक व् अप्रकाशित      

मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी 

बहुत बढ़िया रचना आदरणीय प्रतिभा जी ,बहुत २ बधाई ,सादर

हार्दिक आभार आदरणीया बरखा जी 

मुहतर्मा प्रतिभा साहिबा ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक जी 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
16 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service