आदरणीय साथिओ,
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बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विनय जी।
मनन जी कथा अच्छी हुयी है . मेरी समझ में घर वापसी और नीड की ओर में एक भावात्मक अंतर है घर की वापसी में एक मजबूरी दिखती है जबकी नी\ड की और में एक उत्कंठा और ललक का भाव है . फिलहाल एक उद्देश्यपूर्ण कथा के लिए बधाई
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गोपाल भाई। वैसे वापसी तो वापसी ही है,चाहे जबरन हो या स्वेच्छा से।आसरा कभी नीड़, तो कभी घर लगता है,सादर।
जनाब मनन साहिब ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तसदीक भाई।
आद0 मनन कुमार जी सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बढ़िया लघुकथा कही आपने। बहुत बहुत बधाई आपको।
बहुत बहुत आभार आपका,आदरणीय
सब कुछ लुटा के होश में आये तो लौटने लगे घर की ओर. प्रदत्त विषय से न्याय करती संवाद शैली में बढ़िया लघुकथा रची है आ० मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई प्रेषित है.
आपकी स्वीकारोक्ति से कथा को संबल मिला,आदरणीय योगराज जी,शुक्रिया व नमन।
हर कदम पर छल से मुकाबला करना होता है| बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय मनन कुमार सिंह जी| हार्दिक बधाई आपको|
आभारी हूँ आदरणीया कल्पना जी।
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब,
एक उद्देश्यपूर्ण लघुकथा का अच्छा प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
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