आदरणीय साथिओ,
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लघुकथा _परख {दृष्टि}
सेठ आनंद कुमार करोड़ों रुपयों की संपत्ति के मालिक हैं, एकलौती बेटी मधु जो सीधी, सुन्दर, सुशील और सादगी पसंद है, के रिश्ते के लिए अख़बार में जो एड दिया उनमें
चार आवेदन करताओं को सेठ जी ने घर पर बुलाया l
पहले उन्होंने अमित को पिता के साथ अंदर बुला कर कहा, " आपका बेटा डॉक्टर है, मेरी संपत्ति की वारिस सिर्फ मेरी
बेटी है, लेकिन वो कभी कभी ड्रिंक भी करती है, रातों में
क्लब और पार्टियों में जाती है, पश्चिमी मॉडर्न कपड़े पहनती है, आपको शादी के बाद कोई एतराज़ तो नहीं होगा?"
जवाब में अमित के पिता ने कहा " आज कल तो यह सब फ़ैशन में है, वो शादी के बाद कुछ भी करे, हमें कोई एतराज़
नहीं होगा l"
इसी तरह सेठ आनंद ने दूसरे और तीसरे आवेदन करता सुरेश और मुकेश जो लेक्चरर और उद्योग पति हैं, को पिता
के साथ अन्दर बुलाकर वही बात दोहराई, तो उन्होंने भी कहा कि हमें कोई एतराज़ नहीं होगा "
सबसे बाद में राजकुमार को पिता के साथ बुलाकर वही बात दोहराई l
सेठ जी की बात सुन कर राजकुमार के पिता ने फ़ौरन जवाब में कहा," माफ़ कीजिए, मैं ने अपने बेटे को अच्छे संस्कार देकर इंजीनियर बनाया है, मैं नहीं चाहता कोई मेरी बहू पर उंगली उठाए , मैं ऎसी लड़की को घर की बहू नहीं बना सकता l आप मेरे बेटे को अपनी किसी फ़र्म में नौकरी दे दें तो बहुत महरबानी होगी l"
उस के बाद सेठ जी ने चारो आवेदन करताओं को एक साथ अन्दर बुला कर अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "मैं ने अपनी बेटी के बारे में जो बताया वो सब झूट था, मुझे उसके लिए सीधा सादा, प्यार करने वाला खुददार, और पढ़ा लिखा ऎसा वर चाहिए जो दौलत का लालची न हो l"
उन्होंने राजकुमार को नियुक्ति पत्र देते हुए कहा, "तुम ही मेरी बेटी के लिए सही वर हो l"
(मौलिक व अप्रकाशित)
विषयांतर्गत उम्दा बढिया रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब। कुछ टंकण त्रुटियांं रह गयीं हैं। चारों को एक साथ बुुलाना कुुुछ अस्वाभाविक सा लग रहा है। अलग-अलग दिन बुलाकर फोन या ख़त.से फैसला बताया जा सकता है मेरे विचार से। शीर्षक बढ़िया है।
जनाब शेख शहज़ाद साहिब आ दाब , लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I अगर चारो लोगों को अगले दिन बुलाया जाता तो काल बदल जाता l सादर
जी, शुक्रिया जनाब। तो फिर कालखंड से बचाते हुए कोई शैली अपनायी जा सकती है न?
एक शानदार प्यारी कहानी के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब.
जनाब ओम प्रकाश साहिब , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब, शानदार लघुकथा के लिए मुबारकबाद स्वीकार करें।
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।प्रदत्त विषय दृष्टि को चरितार्थ करती बेहतरीन लघुकथा।
मुह तरमा नीलम साहिबा , लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
प्रदत्त विषय पर सुन्दर सार्थक सृजन हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक़ जी
मुह तरमा प्रतिभा साहिबा , लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
पिता के द्वारा बेटी के लिए सही वर का चयन करने के लिए वरों के पिता का साक्षात्कार करना ,एक नई पहल का प्रचलन ढर्रे वाली समाजिक व्यवस्था में लाना,बेहतरीन लघुकथा के माध्यम से.हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।
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