परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 99वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब मिर्ज़ा ग़ालिब साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे"
221 2121 1221 212
मफ़ऊलु फाइलातु मुफ़ाईलु फाइलुन
(बह्र: मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 सितम्बर दिन गुरूवार को हो जाएगी और दिनांक 28 सितम्बर दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. अंजलि जी,
बहुत बहुत बधाई
हार्दिक आभार नीलेश जी
आदरणीया अंजली जी बहुत अच्छी ग़ज़ल आपने कहीं दूसरा शेर खास पसंद आया इसके लिए अलग से मुबारकबाद कुबूल करें। बधाई
आपकी हौसला अफ़ज़ाई का दिली शुक्रिया रवि जी
आ0 अंजली जी अच्छी ग़ज़ल। बहुत बहुत बधाई।
बहुत शुक्रिया आदरणीय बासुदेव जी
मुहतरमा अंजलि साहिबा इस ग़ज़ल पर बहुत बहुतमुबारकबाद आपको,,,
शुक्रिया आपका आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी
मुहतरमा अंजली गुप्ता जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
आदरणीय समर कबीर सर्, ग़ज़ल को अपना वक़्त देने और हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए दिली शुक्रिया। आपकी शुभकामनाएं यूँ ही मिलती रहें
अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. अंजलि जी,
बहुत दाद।
बहुत शुक्रिया दिनेश जी
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