साथियों,
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बेहतरीन अनुभव और सबक़। बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब। मेरे ख़्याल से * लगाने की आवश्यकता नहीं है। 2-5-7-9 अशआर बेहतरीन।
बहुत शुक्रिया मोहतरम शहज़ाद साहिब
मेरी अदना कौशिश को अपनी क़ीमती दाद से नवाज़ने के लिए
नौमश़्क तालिब इल्म हूँ ग़ज़ल को मज़ीद चमकदार करने की कोशिशों में *लगा दिया था!
बेहतरीन ग़ज़ल कही है आप ने बहुत बहुत मुबारक बाद कुबूल फरमायें
जनाब अशफ़ाक अली साहिब सुख़न नवाज़ी के लिए मशकूर हूँ
आदरणीय जावेद भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई शेर दर शेर दाद कबूल कीजिए
जनाब अमित कुमार जी आदाब ,
हौसला अफ़जा़ई के लिए दिली शुक्रिया
वाह्ह्ह वाह्ह्ह्हह्ह मिर्ज़ा साहब कमाल की ग़ज़ल हुई है ढेरों दाद कुबूलें
बुआ जी आदाब ,
आपकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया अदा करता हूं
ज़ख़्म इतने लगा गया है मुझे ।
पैकर ए ग़म बना गया है मुझे ।
बेवफ़ाई भी उसकी भाने लगी ।
रास इतना वो आ गया है मुझे!
वाह वाह आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल
आदरणीय मिर्ज़ा बेग साहब, बेहतरीन गज़ल कही है आपने, ढेरों दाद और मुबारकबाद. सादर
जनाब राज़ साहिब आदाब ,
होसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,
बहतरीन दाद ओ तहसीन से आपने मेरे हौसलौं को मज़ीद बुलंदी अता की दिली शुक्रिया अदा करता हूं
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