For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 26183

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,आपने सहीह कहा,ये मेरी दूसरी ग़ज़ल है जिसमें ओबीओ का नाम लिखा है,और ये सब आप जैसे साथियों की महब्बत का नतीजा है,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

आदरणीय समर कबीर साहब। सुंदर गज़ल। प्रत्येक शेर तारीफ के काबिल। इस पर सोने में सुहागा आपने प्रत्येक पंक्ति को ओपन बुक्स आन लाइन से जाेड़ कर कमाल कर दिया है। इस सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। ये शेर तो बहुत अचछा लगा .

नष्ट ऐसे ही सबको होना है
बुलबुला ये बता गया है मुझे

-- दयाराम मेठानी  

जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

अनोखी लाजवाब प्रस्तुति जनाब समर साहब आपकी सोच और मेहनत को सलाम .......शानदार रचना कर्म हेतु बहुत बहुत बधाई ।

जनाब नादिर भाई आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

वाह! अद्भुत! ग़ज़ल कहना स्वयं में कई पाबन्दियों का पालन करना होता है, उस पर अपनी तरफ़ से एक और बन्दिश को शामिल करना, ये सिर्फ़ आप ही कर सकते हैं आदरणीय समर कबीर सर। आमतौर पर ऐसी बन्दिश लागू करने से शेर कमज़ोर हो जाते हैं पर आपकी ग़ज़ल इसका अपवाद है। हर शेर लाजवाब। ओबीओ के प्रेम, समर्पण और इस बेशकीमती उपहार के लिए आपको ढेर सारी बधाई। सादर।

जनाब महेन्द्र कुमार। जी आदाब,ये सब ओबीओ की महब्बत का कमाल है,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

आदरणीय समर साहब आदाब  आेपन बुक्स आनलाइन के 100 वें मुशायरे की बधाई आैर इस तोहफे के  लिए आपका शुक्रिया गजल बहुत अच्छी हुई है मुबारक बाद पेश करता हूँ । 

जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,आपको और पूरे ओबीओ परिवार को ओबीओ का गोल्डन जुबली अंक मुबारक हो,सुख़न नवाज़ी के।लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

आदरणीय समर साहब ओ बी ओ के प्रति आपकी निष्ठा और समर्पण स्तुत्य है, यह ग़ज़ल इसकी बानगी भर है| आप ऐसे ही सतत मोहब्बत देते रहें हमारी यही कामना है| आपको ढेर सारी शुभकामनाएं और मुबारकबाद|

जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,ओबीओ मेरी रग रग में,मेरी हर साँस में बसता है,और इस परिवार के सभी सदस्य भी मुझसे बेपनाह महब्बत करते हैं ।

ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । एक ग़ज़ल और पोस्ट की है, और उसके बाद एक और है, उन पर भी आपका तब्सिरा दरकार है ।

"आप महफ़िल में आये राणा जी

देख कर चैन आ गया है मुझे'

वाह समर साहब, शब्द तो आपकी उँगलियों के इशारों पर नाचते हैं, यही फ़न तो सीधे दिल तक पहुँचता है। 100 वें अंक के लिए ओपन बुक्स ऑनलाइन के लिए इससे बेहतर तोहफ़ा और क्या हो सकता है। नायाब गजल के लिए मुबारकबाद।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil is now a member of Open Books Online
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil shared Admin's page on Facebook
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
Tuesday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service