For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 25314

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब मिर्ज़ा जावेद  साहब पिछले कुछ आयोजनों से आपकी गज़ल पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ आपके अशआर गज़ल की चाशनी में डूबे हुये से होते हैं ......एक और शानदार प्रस्तुती के लिए दिली मुबारकबाद ......

मुहतरम जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब, 

तालिब इल्म की बेपनाह हौसला अफ़ज़ाई की आपकी इस

ख़ूबसूरत दाद ने दिल की अमीक़ गहराइयों से शुक्रिया अदा करता हूं 

उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग साहब। हर शेर ख़ूबसूरत। दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

जनाब महेंन्द्र कुमार जी आदाब, 

सुख़न नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया 

आदरणीय  जावेद मिर्जा साहब अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । मकता बहुत अच्दा लगा

जनाब रवि शुक्ला जी आदाब ,

सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया 

आदरणीय मिर्ज़ा साहब, एक ही साँस में जब कोई गजल पढ़ी जाती है तब ही मेरा दिल उसे अच्छी गजल कहता है। आपकी गजल में भी वही बात है। बेहतरीन गजल के लिए मुबारकबाद।

जनाब अरूण कुमार जी आदाब, 

इस बहतरीन अंदाज़ में हौसला अफ़जा़ई करने के लिए दिली शुक्रिया 

//ज़ख़्म इतने लगा गया है मुझे ।
*पैकर ए ग़म बना गया है मुझे ।// क्या कहने हैं, वाह वाह वाह।  

//*बर्फ़ जैसा पिघल न जाऊं कहीं!
*धूप वो फिर उढा़ गया है मुझे!// धूप के ओढ़ाने का ख्याल पसंद आया. 

//*बे, छुपा कर वफ़ा के चहरे में ।
*फ़न वो अच्छा दिखा गया है मुझे !// बहुत खूब. 

//*बात दिल की तो उसने की ही नहीं!
*सिर्फ़ क़िस्से सुना गया है मुझे!// वाह, ऐसा भी होता है। सब कुछ कहा जाता है मगर दिल की बातें दिल में ही रह जाती हैं।  


//*इक नज़र बस करम की मांगी थी!

*कितने वादे थमा गया है मुझे!// रिवायती रंगत का ये शेअर भी उम्दा हुआ है. 

//*बेवफ़ाई भी उसकी भाने लगी ।

*रास इतना वो आ गया है मुझे!// लजवान शेअर हुआ है।  

//*वो सितम पर है इतना आमादा ।

*ख़्वाब में भी रुला गया है मुझे ।// क्या कहने हैं, वाह वाह। 

//*ज़ब्त करना भी सीखना है अब!

*"सब्र करना तो आ गया है मुझे!"// बाकमाल गिरह लगाई है, मज़ा आ गया।  वाह।  

//*मैं हूँ हस्सास किस क़दर "मिर्ज़ा!

*ग़म ज़माने का खा गया है मुझे!//

अय हय हय !!! क्या मुलायमियत है साहिब! इस मुरस्सा कलाम पर मेरी ढेरों ढेर मुबारकबाद क़बूल करें भाई मिर्ज़ा जावेद बेग जी।   

मुहतरम जनाब योगराज प्रभाकर जी आदाब ,

जिस तरह आपने मतला ता मक़ता एक एकएक शैर पर

दाद ओ तहसीन से नवाज़ा है यक़ीनन मुझ जेसे तालिब 

इल्म के लिए बाइस ए फ़ख्र है 

आप जेसे अकाबेरीन का हाथ जब हम जेसे नौमश्क 

तालिब इल्मों के सरों पर रखा जाता है तो तमाम दुश्वारियां 

आसानियों में तबदील हो जाया करती हैं मार्ग दर्शन ओर महब्बत 

भरा आशिर्वाद बनाए रखिएगा बहुत बहुत शुक्रिया 

जनाब मिर्ज़ा जावेद बेग साहब ..क्या खूब अशआर कहे हैं ..मतले से लेकर मकते तक उम्दा ही उम्दा ...दिली दाद कबूल फरमाएं|

बहुत बहुत शुक्रिया मुहतरम राना प्रताप साहिब जी, 

आपकी ख़िदमत में आदाब पैश करते हुए इस बहतरीन दाद के लिए 

तह् दिल से शुक्रिया अदा करता हूं 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service