परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 101वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब खुमार बाराबंकवी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"आप अब और कोई काम करें "
2122 1212 22/112
फाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन/फइलुन
(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 23 नवंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24 नवंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आद0 अफ़रोज़ सहर साहब सादर अभिवादन।ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और दाद का बहुत बहुत शुक्रिया
ज़िन्दगी से अगर मिले फ़ुर्सत
फिर ग़ज़ल पर भी कोई काम करें
वाह, बहुत ख़ूब फ़रमाया जनाब सुरेन्द्र सिंह साहब आपने. क्या कहने ! सादर
आद0 राज़ नवादवी साहब सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर गरिमामय उपस्थिति से अभिभूत हूँ, सादर आभार
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
आद0 तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन। आपको ग़ज़ल अच्छी लगी, कहना सार्थक हुआ। आभार आपका
अच्छी ग़ज़ल सुरेंद्र नाथ जी। मुबारक और दाद क़बूल करें।
आद0 अजय गुप्ता जी सादर अभिवादन। आभार आपका
आद० सुरेन्द्र नाथ भैया बहुत उम्दा गज़ल कही है क्या कहने शेर दर शेर दाद हाज़िर है
सेवा माँ बाप की अगर कर ली
क्या जरूरत है चार धाम करें।
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और दाद से अभिभूत हूँ,, आभार आपका
सुरेन्द्र भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है
आद0 मोहम्मद अनीस शेख साहब सादर अभिवादन। आभार आपका
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, तहेदिल से मुबारक़बाद
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