For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: आइना बन सच सदा सबको दिखाता कौन है

2122 2122 2122 212


आइना बन सच सदा सबको दिखाता कौन है
है सभी में दाग दुनिया को बताता कौन है

काम मजहब का हुआ दंगे कराना आजकल
आग दंगों की वतन में अब बुझाता कौन है

आंधियाँ तूफान लाते है तबाही हर जगह
दीप अंधेरी डगर में अब जलाता कौन है

देश में शोषण किसानों का हुआ अब तक बहुत
दाल रोटी दो समय उनको दिलाता कौन है

बात मेठानी सुनो सबकी सदा तुम ध्यान से
भय हमारी जिन्दगी से अब भगाता कौन है

( मौलिक एवं अप्रकाशित )

- दयाराम मेठानी

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2018 at 9:35am

आद0 दयाराम मैथानी जी सादर अभिवादन।  बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। आद0 समर साहब की बातों पर ध्यान दीजियेगा। बधाई निवेदित करता हूँ

Comment by Samar kabeer on December 17, 2018 at 11:55am

जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

काम मजहब का हुआ दंगे कराना आजकल'

इस मिसरे के बारे में ये कहना चाहूंगा कि कोई भी मज़हब इंसान को बुराई का रास्ता नहीं दिखाता, इसलिए इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा:-

'काम लोगों का हुआ दंगे कराना आजकल'

' आग दंगों की वतन में अब बुझाता कौन है'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है "अब बुझाता' इस मिसरे को यूँ कर लें तो ये ऐब निकल जायेगा:-

"अब वतन में आग दंगों की बुझाता कौन है'

' दीप अंधेरी डगर में अब जलाता कौन है'

ये मिसरा लय में नहीं है,क्योंकि आपने 'अंधेरी' शब्द का वज़्न 222 लिया है,जबकि सहीह शब्द है "अँधेरी"122,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'दीप अब तारीक राहों में जलाता कौन है'

Comment by Dayaram Methani on December 13, 2018 at 10:26pm

आदरणीय फूल सिंह जी, प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत आभार।

Comment by Dayaram Methani on December 13, 2018 at 10:25pm

आदरणीय राज नवादवी जी, टिप्पणी कर प्रोत्साह देने के लिए आपका बहु बहुत आभार।

Comment by PHOOL SINGH on December 13, 2018 at 2:51pm

अच्छी ग़ज़ल बन पड़ी है बधाई स्वीकारें

Comment by राज़ नवादवी on December 13, 2018 at 2:16pm

आदरणीय दयाराम मेथानी जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद. सादर. 

Comment by Dayaram Methani on December 13, 2018 at 12:44pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। आपने जो सुझाव दिया है उस पर अवश्य विचार करुंगा। यदि आप अपना सुझाव आैर अधिक स्पष्ट करें तो मेरे लिए सहायक होगा। बहुत बहुत धन्यवाद। कृपया भविष्य में भी इसी तरह मार्ग दर्शन करते रहें। सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 13, 2018 at 12:27pm

आ. भाई दयाराम जी, गजल का अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधाई ।

दीप अंधेरी डगर में अब जलाता कौन है

यह मिसरा लय में नहीं है देखियेगा ।

शेष शुभ शुभ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
17 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
30 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
59 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service